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29 Jan 2025 · 1 min read

"लम्हे"

ये लम्हे ना जाने,
क्यों इतना रुलाते हैं।

प्यारे ख्वाबों को,
क्यों ये पल में तोड़ जाते हैं।

परियों की कहानी गम में बदल जाते हैं,
कुछ अनचाहे रिश्ते दूरी में बदल जाते हैं।

यह मजबूरीयो की दुनिया जीना सिखाते हैं,
आंखों में आंसू हैं पर फिर भी हम मुस्कुराते हैं।

ये लम्हे ना जाने क्यों इतना रुलाते हैं,
खामोशी दिल की बयान कर पाए,
आंखों में आंसू फिर भी मुस्कुराए।

ये लम्हे ना जाने क्यों इतना रुलाते हैं,
जिंदगी की हर सिख,
जो गमों में सीखते हैं,
लम्हे ना जाने क्यों इतना रुलाते हैं।

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