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जब मैं किसी की इज्जत करता हूं,तो वो मैं प्राकृतिक रूप से करता हूं।किसी को मुझसे इज्जत करवाने के लिए कुछ करने की जरूरत नही है…
पर अगर में इज्जत करना बंद कर दूं तो,वो जरूर तुम्हारे कुछ करने के बाद हुआ होगा…मेरा मन शुरुआत में प्राकृतिक रूप से अपने आप जुड़ेगा
लेकिन मेरा मन अगर उठा तो उसमे तुम्हारी कोई न कोई करनी होगी
मेरे पिताजी ने मुझे एक चीज सिखाई है कि उस खिड़की को बंद कर देना जिससे तुम्हे दुख मिले, नजारा चाहे कितना भी खूबसूरत क्यों न हो।