दोहे
लो अतीत से प्रेरणा, वर्तमान को सींच।
खुश हो अपने भाग्य की, रेखा नूतन खींच।। 1।।
भटको नहीं अतीत में, वर्तमान पहचान।
वर्तमान में जो जिये, वही सुखी इंसान।।
सुख-दुख हैं जो आज के, बदले वेश अतीत।
जब वो था तब तुम नहीं, उससे क्यों अब प्रीत।।3।।
गया समय लौटे नहीं, हेरो मत उस ओर।
द्वार अभी है जो खड़ा, रखो पकड़कर डोर।।4।।
पीठ फेर जो चल दिया, छोड़ राह में शूल।
क्यों पीछे है भागता, फाँक रहा है धूल।।5।।
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GNegi