प्रेम से बढ़कर ना कोई शास्त्र था, ना हैं, ना रहेगा, बस हम लो

प्रेम से बढ़कर ना कोई शास्त्र था, ना हैं, ना रहेगा, बस हम लोगों ने पढा ही गलत तरीके से है,
समझा भी गलत नियत से है,,
और देखा भी ग़लत भावना से हैं,,, इसलिए आज प्रेम को इतनी गलत नज़र से देखा जाता है,,, मेरे लिए भगवान के बाद इस दुनिया में कोई पवित्र चीज़ है तो वो है प्रिती, वो है प्रेम…
मुझे कण_कण से प्रिती की खुश्बु आती हैं,,,, जिधर देखूं उधर जरें_जरें में प्रेम नजर आता है,,, जब भी धड़कनें स्पंदन करती है प्रीति कस्तुरी बन मन को महकाती है,, ना कोई छल, ना कोई प्रपंच, ना कोई स्वार्थ निस्वार्थ प्रेम करके देखो रोम_रोम में निखार आता है….!