सोचता हूं _ लिखता रहूं ।

सोचता हूं _ लिखता रहूं ।
कागज़ों में ही _ दिखता रहूं ।।
कभी तो पहचानेगी दुनियां _
पाने को प्रेम मैं तो _ बिकता रहूं ।।
राजेश व्यास “अनुनय “
सोचता हूं _ लिखता रहूं ।
कागज़ों में ही _ दिखता रहूं ।।
कभी तो पहचानेगी दुनियां _
पाने को प्रेम मैं तो _ बिकता रहूं ।।
राजेश व्यास “अनुनय “