अब डिजिटल की ओर
अब इतना विस्तार हो गया,
इस युग नये नये अविष्कार हो गया,
सबको उससे प्यार हो गया।
आँखे मिली चार हो गयी,
बातो बातो मे से संसार जुड़ गयी,
स्मार्टफोन जब तैयार हो गयी
जो भी आया जुड़ता गया,
डिजिटल की ओर झट मुड़ता ही गया,
इंटरनेट एक जाल बन गया।
अब क्या तकनीक लाना है,
आर्टिफीशियल इंटेलीजेंट का भी कमाल दिखाना है,
नयी उड़ान को पाना है।
अब भी है बाकी कलयुग,
रीलस बना बना कर आनंद उठाना है,
कलयुगी गुलाम नही बनना है।
रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश
मोदहा हमीरपुर