दिखावे की दुनिया

झूठी शान शौकत,ये छलावों की दुनिया,
ये शहरों की दुनिया दिखावों की दुनियां।
यहां किसी को किसी की फिकर ही कहां है,
बचे कतरन के पहने,कम लिबासों की दुनियां।
…..ये शहरों की दुनिया दिखावों की दुनियां।
है कितनी खुली सी,बेनकाबों की दुनिया,
खूब तड़कते भडकते,पहनावों की दुनिया।
मसरूफ बहुत है आज शौहरत के नशे में
लोगों को लुभाती,नग्न ख्वाबों की दुनियां।
…..ये शहरों की दुनिया दिखावों की दुनियां।
पल पल बदलती रंग,बेहिसाबों की दुनिया,
खास इत्र से महकती ये गुलाबों की दुनिया।
बोली जिस्म की लगाए,चंद रुपयों के खातिर
इन बाजारों में बिकते नए शबाबों की दुनिया।
…..ये शहरों की दुनिया दिखावों की दुनियां।
हक अपना जताती,झूठे दावों की दुनिया,
इंसानी फितरत,ईमान खराबों की दुनिया।
ढूंढते ही रह गया मैं वजूद जहां अपना
ये वो नही है जो मेरे हिसाबों की दुनिया।
…..ये शहरों की दुनिया दिखावों की दुनियां।