दुनिया की हकीकत

कोई डूबा है ग़म में,और
कोई मनाए खुशी ,
किसी का घर डूबा मातम में,
मगर मस्ती के आलम में डूबे हुए,
लोगों की सरगोशी ।
यही हकीकत है कि यह दुनिया ,
रुकती नहीं किसी के लिए ।
दो अश्क बहाने की भी फुर्सत नहीं ,
यहां किसी के लिए ।
वैसे भी किसी के गम में कौन रोता है !
जब खुद पर बिजली गिरती है वक्त की ,
तभी तो एहसास होता है ।
फिर भी जिंदगी तो चलती रहती है ,
मगर कब तक ।
आज कोई जहां से गया ,
कल किसी और की बारी है ।
इसी तरह रंजो और ग़म ,
फिर खुशी और फिर मातम ,
यह सदियों से ज़ारी है ।