मेमोरियल के लिए ज़मीन।
मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैं अपने बिल्डिंग के टैरेस पर यूं ही चहल कदमी कर रहा था , एक गीत मन में उमड़ घुमड़ रहा था , उसे शब्दों के प्याले में ढालने का प्रयास भी आरम्भ था। तभी मेरी नज़र दूर के कब्रिस्तान पर पड़ी। कब्रिस्तान की दीवार के बगल से एक कृशकाय आदमी की छवि दिखाई पड़ी , मैंने सेल फोन में देखा तो रात के तीन बज रहे थे। मुझे अचरज हुआ कि इतनी रात गए ये कौन कब्रिस्तान के आसपास टहल रहा है। उत्सुकता बढ़ी तो नीचे उतर आया और कब्रिस्तान की ओर जाने के लिए आगे बढ़ा तो वॉच मैन ने पूछा कि इतनी रात में कहां जा रहे हैं , मैने कहा यूं ही थोड़ा घूम कर आता हूं , उसने मुझे रोका तो नहीं किंतु उलझन भरी आंखों से मुझे देखता रहा।
मैं जल्दी जल्दी चलता हुआ कब्रिस्तान की तरफ लपका , मुझे आशंका थी कि वह व्यक्ति चला न जाए। कब्रिस्तान के समीप पहुंचा तो क्या देखता हूं , छोटे कद के एक बुजुर्ग वार लंगड़ाते हुए धीरे धीरे चले जा रहे थे। मैं लगभग दौड़ता हुआ उनके सम्मुख जा पहुंचा। मेरी अचानक आवक से वे थोड़ा सहम से गए और रुक गए।
मैंने उनको सांगोपांग ध्यान से देखना शुरू किया , करीब नब्बे की उम्र , पतला दुबला शरीर , पगड़ी अधखुली , माथे पर हल्की चोट के निशान , करीने से सेट की हुई दाढ़ी उलझ गई थी और उसमें धूल भर गई थी। बुजुर्गवार के घुटने , टखने भी चोट खाए हुए थे , इस कारण चाल में लड़खड़ाहट थी।
आश्चर्य की बात यह थी कि दर्द उनके चेहरे पर दिख रहा था किंतु आंखों में वह पीड़ा नहीं दिख रही थी। मुझे लगा बुजुर्गवार अवश्य ही एक सधे हुए अभिनेता रहे होंगे।
मैं – आप इतनी रात को यहां क्या कर रहे हैं , और आपको यह चोटें कैसे लग गईं ?
बुजुर्गवार महीन पतली आवाज़ में – आप क्यों अपनी नींद खराब कर रहे हो , लंबी कहानी है, जाओ सो जाओ।
मैं – नहीं , मैं आपको इस हालत में अकेले नहीं छोड़ सकता, चलिए आपको अस्पताल लेकर चलता हूं।
बुजुर्गवार – मेरी कहानी नहीं सुनना चाहोगे ?
मैं – वह आप मुझे अस्पताल में इलाज के पश्चात सुना देना।
इतना सुनते ही वह फीकी हंसी हंसने लगे। मैं अचकचा गया। मेरी समझ में ही नहीं आया कि मैंने ऐसा क्या कह दिया कि उन्हें हंसी आ गई। वे मेरा भाव समझ गये।
बुजुर्गवार – अस्पताल की तेज रोशनी मुझे रास नहीं आएगी , तुम्हे जानना है तो यहीं सुनना पड़ेगा।
मैं – जैसी आपकी इच्छा , किंतु बाद में आपको अस्पताल चलना पड़ेगा।
उन्होंने सहमति में सर हिलाया – मैं एक बहुत पावरफुल आदमी था , जब मेरे पास अधिकार थे तब मैने इन कब्रिस्तान वालों को तमाम जमीनें मुफ्त में दे दी थीं , अब मुझे मेरा मेमोरियल बनाने के लिए जगह …..।
मैंने उनकी बात पूरी होने के पहले – पर मेमोरियल तो ….।
बुजुर्गवार ने मुझे टोका – पूरी बात तो सुनो , मेरे मेमोरियल की जगह के लिए बहुत विवाद हो रहा है , तो मैने सोचा सैकड़ों एकड़ जमीन से , इन्हीं से एक टुकड़ा मांग लूं ।
मैं – पर मेमोरियल तो …….।
बुजुर्गवार – थोड़ा धैर्य रखो, मैने उनके सामने जब अपनी मांग रखी तो वे उखड़ गए और आसमान की तरफ उंगली कर बोले , जो वस्तु एक बार उसकी हो गई तो हो गई , उसमें से एक नैनो मीटर भी वापस नहीं मिलेगी।
मैं – ऐसा कहा !
बुजुर्गवार – जब मैंने जिद की तो देखो मेरा क्या हाल किया है।
मैं – उसकी फिक्र न करें मैं अभी आपको अस्पताल लेकर चलता हूं , पर वे लोग कहां रहते हैं।
बुजुर्गवार – कब्रिस्तान के पीछे जो बड़ा मैदान है , वहीं।
मैं कब्रिस्तान की तरफ मुड़ा और बोला – वह पूरा इलाका तो उजाड़ पड़ा है , वहां कोई नहीं रहता , अफवाह है कि वहां भूत, प्रेतों आदि का बसेरा है।
बुजुर्गवार की तरफ से कुछ हां हूं कि आवाज न सुन मैं उनकी तरफ घूमा तो zoom, बुजुर्गवार का कहीं अता पता नहीं था , मेरी रीढ़ की हड्डी में अतिशय ठंडी बर्फीली सिहरन सी गुजर गई। मैं कुछ समय तक वहीं खड़ा रह गया।
Kumar Kalhans