मैंने सोचा भी कहां था
मैंने सोचा भी कहां था
मेरी साँसे भी कम होगी,
तुम्हारे दूर जाने से,
धड़कनें मेरी रुक सी जायेंगी
तुम्हारे दूर जाने से,
तुम्हें एहसास
मेरी मोहब्बत का,
हो न हो ये मुमकिन है
आँखे मेरी ज़रूर नम होंगी
तुम्हारे दूर जाने से,
तुम सपना थीं या हकीकत,
मुझे ख़बर नहीं
रातें मेरी गुज़र गुज़र जायेंगी
जागते हुए
तुम्हारे दूर जाने से !
हिमांशु Kulshrestha