शीर्षक – मौसम
शीर्षक – मौसम
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कुदरत के मौसम होते हैं।
जिंदगी हमारी कहते हैं।
सच न फरेब मौसम रखते हैं।
रंगमंच के साथ हमें सिखाते हैं।
हम मानव न जाने क्या समझते हैं।
मौसम तो बस अपनी आदत कहते हैं।
न अकड़ न रौब मौसम कभी दिखाते हैं।
मौसम तो सदा समानता ही रखते हैं।
समय और कुदरत ही मौसम कहते हैं।
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नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उ.प्र