” बख्तावरपुरा वाली मैडम “
” बख्तावरपुरा वाली मैडम ”
8 बरस पहले की बात अनायास याद आई
हरियाणा राजस्थान की वो घुमावदार सड़कें
गरमी सर्दी का था अपना अलग ही अनुभव
रोडवेज बस के हिचकोले आज भी याद हैं,
कार में घूमकर थकते तो बस की याद आती
रानू रोमी को भी इसकी सवारी खूब सुहाती
नानी के घर से वापिस आते समय का रास्ता
गांवों की संकरी शांत सड़क आज भी याद है,
रास्ते में आता एक आदर्श गांव बख्तावरपुरा
धूल उड़ाती चलती रोडवेज अपनी ही धुन में
नुक्कड़ पर सामने विराजता सरकारी स्कूल
ड्राइवर का तेज ब्रेक लगाना आज भी याद है,
बस रुकती धूल शांत होती सब पीछे देखते
साड़ी पहने हुई वो सरकारी स्कूल की मैडम
टप टप करती आगे बढ़ती नीचे उतर जाती
स्कूल में चली जाती वो याद आज भी याद है।