Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jan 2025 · 1 min read

दोहा पंचक. . . ख्वाब

दोहा पंचक. . . ख्वाब

आँखों में आवारगी, ख्वाबों के दस्तूर ।
बोसों के इसरार सब, लब को थे मंजूर ।।

उल्फत के अहसास हैं, आँखों के सब ख्वाब ।
कैसे उसके ख्वाब की, छोड़ें हसीं किताब ।।

उड़ -उड़ के गिरती रही, रुख पर पड़ी नकाब ।
कैसे कोई देखना , छोड़े ऐसा ख्वाब ।।

खड़ी बाम पर ओस में, सजनी देखे राह ।
बिना सजन इस शीत में, रातें हुईं तबाह ।।

नहीं उतरता आँख से, उसका अजब खुमार ।
जाने कैसे हो गया, उल्फत का इकरार ।।

सुशील सरना / 4-1-24

93 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

यूं किसने दस्तक दी है दिल की सियासत पर,
यूं किसने दस्तक दी है दिल की सियासत पर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बस यूं ही..
बस यूं ही..
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
Crossing Over
Crossing Over
Meenakshi Madhur
"सिलसिला"
Dr. Kishan tandon kranti
अच्छा सुनो ना
अच्छा सुनो ना
Jyoti Roshni
जिंदगी के सफर में अकेले चले ,
जिंदगी के सफर में अकेले चले ,
Manju sagar
आज का युवा कैसा हो?
आज का युवा कैसा हो?
Rachana
*मोबाइल इंसानी जीवन पर भारी*
*मोबाइल इंसानी जीवन पर भारी*
Vaishaligoel
हमें लिखनी थी एक कविता
हमें लिखनी थी एक कविता
shabina. Naaz
मैं - बस मैं हूँ
मैं - बस मैं हूँ
Usha Gupta
* मिट जाएंगे फासले *
* मिट जाएंगे फासले *
surenderpal vaidya
घर के किसी कोने में
घर के किसी कोने में
आकांक्षा राय
तमन्ना है मेरे दिल की
तमन्ना है मेरे दिल की
हिमांशु Kulshrestha
साथी है अब वेदना,
साथी है अब वेदना,
sushil sarna
बलबीर
बलबीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
दिल तो पत्थर सा है मेरी जां का
दिल तो पत्थर सा है मेरी जां का
Monika Arora
हैं हमारे गुरू
हैं हमारे गुरू
राधेश्याम "रागी"
न रंग  था न  रूप  था  खरीददार  थे मिले।
न रंग था न रूप था खरीददार थे मिले।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
शोख लड़की
शोख लड़की
Ghanshyam Poddar
🙅राष्ट्र-हित में🙅
🙅राष्ट्र-हित में🙅
*प्रणय प्रभात*
भरोसा
भरोसा
krupa Kadam
मन की पीड़ाओं का साथ निभाए कौन
मन की पीड़ाओं का साथ निभाए कौन
Shweta Soni
बस, अच्छा लिखने की कोशिश करता हूॅं,
बस, अच्छा लिखने की कोशिश करता हूॅं,
Ajit Kumar "Karn"
मैने कब कहां ?
मैने कब कहां ?
Abasaheb Sarjerao Mhaske
शीर्षक – फूलों के सतरंगी आंचल तले,
शीर्षक – फूलों के सतरंगी आंचल तले,
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
*एक ग़ज़ल* :- ख़्वाब, फ़ुर्सत और इश़्क
*एक ग़ज़ल* :- ख़्वाब, फ़ुर्सत और इश़्क
मनोज कर्ण
फूल
फूल
डॉ माधवी मिश्रा 'शुचि'
फर्क
फर्क
ओनिका सेतिया 'अनु '
होली मुबारक
होली मुबारक
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
10 Habits of Mentally Strong People
10 Habits of Mentally Strong People
पूर्वार्थ
Loading...