Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jan 2025 · 1 min read

ठण्डी ठण्डी हवाएं जब

ठण्डी ठण्डी हवाएं जब
तन से टकराती है
तुम्हारी कोमल छुअन की
यादें ताजा कर जाती है
नम आँखों में यादों के
बादल उमड़ रहे हैं
मेरे आँखों के बादल से
लगता है..
तुम भी कहीं भीगते होगे
भीगा-भीगा मेरा मन
याद तुम्हें करता है
एक अरसा हुआ तुम से बिछुड़े
दिल अब भी
तुम से मिलने को करता है

हिमांशु Kulshrestha

20 Views

You may also like these posts

दिल की बात
दिल की बात
Ranjeet kumar patre
शीर्षक -बिना आपके मांँ
शीर्षक -बिना आपके मांँ
Sushma Singh
करती गहरे वार
करती गहरे वार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
विदा दे मुझे
विदा दे मुझे
Shekhar Chandra Mitra
......तु कोन है मेरे लिए....
......तु कोन है मेरे लिए....
Naushaba Suriya
जाल मोहमाया का
जाल मोहमाया का
Rekha khichi
आज जिंदगी को प्रपोज़ किया और कहा -
आज जिंदगी को प्रपोज़ किया और कहा -
सिद्धार्थ गोरखपुरी
*सुनिए बारिश का मधुर, बिखर रहा संगीत (कुंडलिया)*
*सुनिए बारिश का मधुर, बिखर रहा संगीत (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जीवन शोकगीत है
जीवन शोकगीत है
इशरत हिदायत ख़ान
The Moon and Me!!
The Moon and Me!!
Rachana
कभी-कभी
कभी-कभी
Ragini Kumari
कुछ लोग रिश्ते में व्यवसायी होते हैं,
कुछ लोग रिश्ते में व्यवसायी होते हैं,
Vindhya Prakash Mishra
“मृदुलता”
“मृदुलता”
DrLakshman Jha Parimal
वर्षा के दिन आए
वर्षा के दिन आए
Dr. Pradeep Kumar Sharma
दिल के रिश्तों को संभाले रखिए जनाब,
दिल के रिश्तों को संभाले रखिए जनाब,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
2734. *पूर्णिका*
2734. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हो रही है भोर अनुपम देखिए।
हो रही है भोर अनुपम देखिए।
surenderpal vaidya
हाथ में मेरे उसका साथ था ,
हाथ में मेरे उसका साथ था ,
Chaahat
मन: स्थिति
मन: स्थिति
Kirtika Namdev
जब  फ़ज़ाओं  में  कोई  ग़म  घोलता है
जब फ़ज़ाओं में कोई ग़म घोलता है
प्रदीप माहिर
मेरे पांच रोला छंद
मेरे पांच रोला छंद
Sushila joshi
" जन्नत "
Dr. Kishan tandon kranti
भिड़ी की तरकारी
भिड़ी की तरकारी
Pooja srijan
ये बेटा तेरा मर जाएगा
ये बेटा तेरा मर जाएगा
Basant Bhagawan Roy
वोट डालने जाना है
वोट डालने जाना है
जगदीश शर्मा सहज
कभी कभी किसी व्यक्ति(( इंसान))से इतना लगाव हो जाता है
कभी कभी किसी व्यक्ति(( इंसान))से इतना लगाव हो जाता है
Rituraj shivem verma
बढ़ता चल
बढ़ता चल
अनिल कुमार निश्छल
इश्क ने क्या कर डाला
इश्क ने क्या कर डाला
पूर्वार्थ
सुदामा कृष्ण के द्वार (1)
सुदामा कृष्ण के द्वार (1)
Vivek Ahuja
स्वयं के परिचय की कुछ पंक्तियां
स्वयं के परिचय की कुछ पंक्तियां
Abhishek Soni
Loading...