क्यों कलियों में है बेचैनी ,
क्यों कलियों में है बेचैनी ,
क्यों उपवन काँटेदार मिला ।
छीद रही है देह सभी अब ,
क्यों पीड़ा का व्यवहार मिला ।।
डा.सुनीता सिंह सुधा
क्यों कलियों में है बेचैनी ,
क्यों उपवन काँटेदार मिला ।
छीद रही है देह सभी अब ,
क्यों पीड़ा का व्यवहार मिला ।।
डा.सुनीता सिंह सुधा