शब्दों से कविता नहीं बनती
जो द्वार का सांझ दिया तुमको,तुम उस द्वार को छोड़
पेड़ों से अगर हमें वाई फाई सिग्नल मिलता तो हर घर के सामने हो
पुरानी वैमनस्यता को भूलकर,
भगवान् बुद्ध वेद विरोधी तथा नास्तिक नहीं थे (Lord Buddha was not anti-Veda or an Atheist)
ग़ज़ल _ दर्द भूल कर अपने, आप मुस्कुरा देना !
अब तुझे जागना होगा।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
साजे दिल तोड़ के आवाज़ की बातें न करो
उनके आने से सांसे थम जाती है
उससे मिलने को कहा देकर के वास्ता
।।अथ श्री सत्यनारायण कथा तृतीय अध्याय।।