Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Dec 2024 · 2 min read

जिंदगी एक ख्वाब है

जिंदगी एक ख्वाब है
मगर फिर भी एक हकीकत है
मौत लाजवाल है बस
साँसों का थम जाना
मौत की वजाहत है
कौन जान पाया है
उस जहाँ में क्या होगा
इस जहाँ में जीना भी
कुछ हद तक मुसीबत है
जब नहीं थे हम इस दुनिया मे
दुनिया जब भी चलती थी
जब नहीं होगे हम
तब भी ये रहेगी यूही
फर्क़ इस को नहीं पढता
किसी के आने जाने से
इसको कोई परवाह क्या
इस की यही तबीयत है
रिश्ते नाते जो खुदा ने
यहाँ बनाये है
जाने ये हिदायत की
हो सके तो निभाओ सब
पर ये रिश्ते ही दिल के
दिल का खून करते है
दिल को चीर देते है
ये जो बेलौस होते थे
अब ये मतलबी हो गये सारे
क्या करे इस दुनिया की
ये बढ़ी ज़िलालत है
काम का जो नहीं हो
उस की कोई क्या जरूरत है
जिस से काम पढ़ता है
उस को खुदा समझते है
बाकी सारे रिश्तों को
तोड़ कर ये रखते है
आते जाते ज़माने है….
किस को किस की मुहब्बत है
देख लो इस दुनिया को
ये भी एक नसीहत है

याद तो करते है
सब खुदा खुदा करते है
पर अपने गरज के लिए
सब कुछ ये करते है
इज्जत -ए – नफस पे
ये ही वार करते है
जाने क्या होगा
रोज़े-हिसाब इनका
जब तुले जायेगे
अमाल वहाँ
तब ना जाने क्या होगा
सोचो तो नेकी अगर
कम वजन हो गयी तो
क्या होगा……
फिर ये जिंदगी वापस तो
नहीं मिलने वाली
इस जहाँ के मसले भी
अब उस जहाँ में भी क्या
हल होगे
जो कोई जैसा करता है
वैसा ही उस को मिलता है
यहाँ तो बस दूसरों को फ़जियत है
कौन जाने कब किसकी साँस
थम जाये
इस जहाँ से कोई कब
उस जहाँ में सफर कर जाये
जाने क्यूँ भूले सब
हम यहाँ मुसाफिर है
इस जहाँ से सब को
उस जहाँ में जाना है
हो सके तो अब भी
कर लो सुर्ख रू खुद को
सोचना क्या अब और
ये ही एक हक़ीक़त है
ये जहाँ नहीं हमारी मिल्कियत है …
ये तो बस खुदा की हम सब पर इनायत है….ShabinaZ

38 Views
Books from shabina. Naaz
View all

You may also like these posts

!! युवा !!
!! युवा !!
Akash Yadav
मेरे जीवन के इस पथ को,
मेरे जीवन के इस पथ को,
Anamika Singh
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
- तेरे प्यार में -
- तेरे प्यार में -
bharat gehlot
मित्र
मित्र
Rambali Mishra
आमावश की रात में उड़ते जुगनू का प्रकाश पूर्णिमा की चाँदनी को
आमावश की रात में उड़ते जुगनू का प्रकाश पूर्णिमा की चाँदनी को
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
अकेला हूँ ?
अकेला हूँ ?
Surya Barman
वक़्त को वक़्त ही
वक़्त को वक़्त ही
Dr fauzia Naseem shad
हमें सकारात्मक और नकारात्मक के बीच संबंध मजबूत करना होगा, तभ
हमें सकारात्मक और नकारात्मक के बीच संबंध मजबूत करना होगा, तभ
Ravikesh Jha
सिमराँवगढ़ को तुम जाती हो,
सिमराँवगढ़ को तुम जाती हो,
श्रीहर्ष आचार्य
?????
?????
शेखर सिंह
षड्यंत्रों की कमी नहीं है
षड्यंत्रों की कमी नहीं है
Suryakant Dwivedi
देहदान का संकल्प (सौहार्द शिरोमणि संत सौरभ पर अधारित)
देहदान का संकल्प (सौहार्द शिरोमणि संत सौरभ पर अधारित)
World News
रोला छंद. . . . माँ
रोला छंद. . . . माँ
sushil sarna
"नसीहत और तारीफ़"
Dr. Kishan tandon kranti
स्वाधीनता दिवस
स्वाधीनता दिवस
Kavita Chouhan
शे
शे
*प्रणय*
यक्षिणी- 21
यक्षिणी- 21
Dr MusafiR BaithA
I love you Mahadev
I love you Mahadev
Arghyadeep Chakraborty
नहीं आया कोई काम मेरे
नहीं आया कोई काम मेरे
gurudeenverma198
नारी और चुप्पी
नारी और चुप्पी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
नज़र नहीं नज़रिया बदलो
नज़र नहीं नज़रिया बदलो
Sonam Puneet Dubey
सच्ची कविता
सच्ची कविता
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
4329.*पूर्णिका*
4329.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Since morning
Since morning
Otteri Selvakumar
गुरु
गुरु
Mandar Gangal
नुकसान हो या मुनाफा हो
नुकसान हो या मुनाफा हो
Manoj Mahato
हस्ती
हस्ती
seema sharma
I lose myself in your love,
I lose myself in your love,
Shweta Chanda
राजर्षि अरुण की नई प्रकाशित पुस्तक
राजर्षि अरुण की नई प्रकाशित पुस्तक "धूप के उजाले में" पर एक नजर
Paras Nath Jha
Loading...