कोई एहसान उतार रही थी मेरी आंखें,
न्याय निलामी घर में रक्खा है
दिल के एहसास में जब कोई कमी रहती है
अभ्यर्थी हूँ
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
ये जो मुहब्बत लुका छिपी की नहीं निभेगी तुम्हारी मुझसे।
- निश्चय करना निश्चित है -
*राम-नाम को भज प्यारे यह, जग से पार लगाएगा (हिंदी गजल)*
चाँद सा मुखड़ा दिखाया कीजिए
महत्वपूर्ण यह नहीं कि अक्सर लोगों को कहते सुना है कि रावण वि
//सुविचार//
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी