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24 May 2024 · 1 min read

धूप छांव

धूप -छांव सा अपना जीवन,
जिसमे हम चलते रहते,
दुःख की धूप हो,
या सुख की छांव,
हम हंस कर सहते रहते।

कठिन समय जब आता है,
ये जीवन बहुत सताता है,
संयम से जो पार करे,
वो बुद्धिमान कहलाता है।

समय का पहिया घूमे हरदम,
कुछ भी नहीं है अंत यंहा ,
थोड़ी देर में धूप जंहा थी ,
अब है देखो छांव वंहा।

Language: Hindi
85 Views
Books from प्रदीप कुमार गुप्ता
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