आप की डिग्री सिर्फ एक कागज का टुकड़ा है जनाब
#ਪੁਕਾਰ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
तुझे बंदिशों में भी अपना राहगुज़र मान लिया,
गीत- अँधेरे तो परीक्षा के लिए...
जीवन की रंगत: सुख और दुख का संगम
परिवर्तन चाहिए तो प्रतिवर्ष शास्त्रार्थ कराया जाए
तेवरी का सौन्दर्य-बोध +रमेशराज
जिनका अतीत नग्नता से भरपूर रहा हो, उन्हें वर्तमान की चादर सल