अब अपना पराया तेरा मेरा नहीं देखता
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
*हों पितर जहॉं भी सद्गति की, इच्छा हम आठों याम करें (राधेश्य
गुलों की क़बा को सिया भी नहीं था
सब छोड़ कर चले गए हमें दरकिनार कर के यहां
*उठो,उठाओ आगे को बढ़ाओ*
Krishna Manshi (Manju Lata Mersa)
दुनिया में दो तरह के लोग पाए जाते हैं। एक सूखा खाकर "सुखी" र
ग़ज़ल (बड़ा है खिलाड़ी ,खिलाता है तू ..................).....................
*स्वप्न को साकार करे साहस वो विकराल हो*
प्यासी कली
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर