SP30 मैं हूं समय
sp30 मैं हूं समय
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मैं हूँ समय किसी के आगे कभी आज तक नहीं झुका
और सतत चलते रहना ही है स्वभाव ना कभी रुका
आंधी आए तूफान उठे कम्पित हो जल थल या अंबर
गतिमान सतत रहना मुझको विपदा के आगे नहीं चुका
मैं हूं असीम मैं हूं विराट मेरा आकार असीमित है
जिसने खांडव वन दहन किया उस दावानल से नहीं फुंका
मुझसे ऊपर बस ईश्वर है जो करता मुझे नियंत्रित खुद
वो ही है सर्व शक्तिमान जग में इसलिए कभी वो नहीं थका
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
यह भी गायब वह भी गा