हार नहीं मानेंगे, यूं अबाद रहेंगे,
ग़ज़ल _ आज उनको बुलाने से क्या फ़ायदा।
प्रीत
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
*मूर्तिकार के अमूर्त भाव जब,
किसी से लड़ के छोडूँगा न ही अब डर के छोड़ूँगा
तुमको हक है जिंदगी अपनी जी लो खुशी से
तेरी आँखों की जो ख़ुमारी है
।। जीवन प्रयोग मात्र ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
#यदि . . . !
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
नहीं टिकाऊ यहाँ है कुछ भी...
मुझे सहारा नहीं तुम्हारा साथी बनना है,
उनकी नाराज़गी से हमें बहुत दुःख हुआ
*मधुमास में मृदु हास ही से, सब सुवासित जग करें (गीत)*
एक स्त्री का किसी पुरुष के साथ, सरल, सहज और सुरक्षित अनुभव क
-बहुत देर कर दी -
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
नींद कि नजर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर