Every morning,we are born again.What we do today is,what mat
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सोच रहा अधरों को तेरे....!
singh kunwar sarvendra vikram
'दीप' पढ़ों पिछडों के जज्बात।
सिय का जन्म उदार / माता सीता को समर्पित नवगीत
सदा मन की ही की तुमने मेरी मर्ज़ी पढ़ी होती,
मेरी निजी जुबान है, हिन्दी ही दोस्तों
परिंदे अपने बच्चों को, मगर उड़ना सिखाते हैं( हिंदी गजल)
आख़िर तुमने रुला ही दिया!
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)