Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Nov 2024 · 1 min read

मैं नहीं जानती

मैं नहीं जानती
भाषा और शैली के नये-नये ढंग
बस जानती हूं
भावों को संजोने के सीधे-सादे रंग
भगवती पारीक ‘मनु’

97 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

अंधी पीसें कुत्ते खायें।
अंधी पीसें कुत्ते खायें।
Vishnu Prasad 'panchotiya'
समंदर इंतजार में है,
समंदर इंतजार में है,
Manisha Wandhare
वैर भाव  नहीं  रखिये कभी
वैर भाव नहीं रखिये कभी
Paras Nath Jha
नहीं किसी का भक्त हूँ भाई
नहीं किसी का भक्त हूँ भाई
AJAY AMITABH SUMAN
"हॉकी के जादूगर"
Dr. Kishan tandon kranti
हिम्मत मत हारो, नए सिरे से फिर यात्रा शुरू करो, कामयाबी ज़रूर
हिम्मत मत हारो, नए सिरे से फिर यात्रा शुरू करो, कामयाबी ज़रूर
Nitesh Shah
ग़ज़ल
ग़ज़ल
seema sharma
जीवन चलने का नाम
जीवन चलने का नाम
शशि कांत श्रीवास्तव
गीता ज्ञान
गीता ज्ञान
Dr.Priya Soni Khare
*माँ : 7 दोहे*
*माँ : 7 दोहे*
Ravi Prakash
तुम कहो या न कहो
तुम कहो या न कहो
दीपक झा रुद्रा
4350.*पूर्णिका*
4350.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अब तो रिहा कर दो अपने ख्यालों
अब तो रिहा कर दो अपने ख्यालों
शेखर सिंह
जाके हॄदय में राम बसे
जाके हॄदय में राम बसे
Kavita Chouhan
बुंदेली दोहा- पलका (पलंग)
बुंदेली दोहा- पलका (पलंग)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*आ गये हम दर तुम्हारे,दिल चुराने के लिए*
*आ गये हम दर तुम्हारे,दिल चुराने के लिए*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जिस यात्रा का चुनाव
जिस यात्रा का चुनाव
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
प्रेमिकाएं प्रेम में अपना भविष्य चुनती हैं, प्रेमी को नही।
प्रेमिकाएं प्रेम में अपना भविष्य चुनती हैं, प्रेमी को नही।
इशरत हिदायत ख़ान
Ultimately the end makes the endless world ....endless till
Ultimately the end makes the endless world ....endless till
सिद्धार्थ गोरखपुरी
#जयंती_आज
#जयंती_आज
*प्रणय प्रभात*
बहुत दागी यहाँ पर हैं
बहुत दागी यहाँ पर हैं
आकाश महेशपुरी
बस्ती  है  मुझमें, तेरी जान भी तो,
बस्ती है मुझमें, तेरी जान भी तो,
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
बदलना न चाहने वाले को आप कभी बदल नहीं सकते ठीक उसी तरह जैसे
बदलना न चाहने वाले को आप कभी बदल नहीं सकते ठीक उसी तरह जैसे
पूर्वार्थ
2122 1212 22/112
2122 1212 22/112
SZUBAIR KHAN KHAN
നിങ്ങളോട്
നിങ്ങളോട്
Heera S
मजदूर दिवस पर एक रचना
मजदूर दिवस पर एक रचना
sushil sarna
“दो अपना तुम साथ मुझे”
“दो अपना तुम साथ मुझे”
DrLakshman Jha Parimal
वक्त की चोट
वक्त की चोट
Surinder blackpen
रस्म उल्फत की यह एक गुनाह में हर बार करु।
रस्म उल्फत की यह एक गुनाह में हर बार करु।
Phool gufran
Loading...