Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Nov 2024 · 1 min read

“मुश्किलों के प्रभाव में जी रहे हैं ll

“मुश्किलों के प्रभाव में जी रहे हैं ll
खुशियों के अभाव में जी रहे हैं ll

बेटा शहर में पैसों के लिए मर रहा,
मां-बाप सुकून से गांव में जी रहे हैं ll

जिनके लिए पैसा ही सबकुछ है,
गुरूर उनके स्वभाव में ही रहे हैं ll

नोकरीपैशा कमा खा‌ तो रहे हैं,
मगर, बेइंतहा दबाव में जी रहे हैं ll

या बहुत क्रोधित हैं, या बहुत शोषित हैं,
हम ताव में जी रहे हैं, तनाव में जी रहे हैं ll”

54 Views

You may also like these posts

गुरू
गुरू
Shinde Poonam
जिंदगी में अगर आपको सुकून चाहिए तो दुसरो की बातों को कभी दिल
जिंदगी में अगर आपको सुकून चाहिए तो दुसरो की बातों को कभी दिल
Ranjeet kumar patre
ब्याज वक्तव्य
ब्याज वक्तव्य
Dr MusafiR BaithA
■ चुनावी_मुद्दा
■ चुनावी_मुद्दा
*प्रणय*
खाया-पिया,
खाया-पिया,
TAMANNA BILASPURI
समझ
समझ
Dinesh Kumar Gangwar
कोई एहसान उतार रही थी मेरी आंखें,
कोई एहसान उतार रही थी मेरी आंखें,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
एक संदेश युवाओं के लिए
एक संदेश युवाओं के लिए
Sunil Maheshwari
मैं पापी प्रभु उर अज्ञानी
मैं पापी प्रभु उर अज्ञानी
कृष्णकांत गुर्जर
❤️एक अबोध बालक ❤️
❤️एक अबोध बालक ❤️
DR ARUN KUMAR SHASTRI
शिक्षामित्रों पर उपकार...
शिक्षामित्रों पर उपकार...
आकाश महेशपुरी
आइए मोड़ें समय की धार को
आइए मोड़ें समय की धार को
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
कतरनों सा बिखरा हुआ, तन यहां
कतरनों सा बिखरा हुआ, तन यहां
Pramila sultan
अच्छे दिनों की आस में,
अच्छे दिनों की आस में,
Befikr Lafz
"दुविधा"
Dr. Kishan tandon kranti
तुममें मैं कहाँ हूँ ?
तुममें मैं कहाँ हूँ ?
Saraswati Bajpai
4144.💐 *पूर्णिका* 💐
4144.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
दरसण करवां डोकरी, दर पर उमड़ै भीड़।
दरसण करवां डोकरी, दर पर उमड़ै भीड़।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
Shikha Mishra
*नाम पैदा कर अपना*
*नाम पैदा कर अपना*
Shashank Mishra
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
फर्जी
फर्जी
Sanjay ' शून्य'
तू साथ नहीं
तू साथ नहीं
Chitra Bisht
डर
डर
Neeraj Agarwal
💖🌹💖🌹💖🌹💖🌹💖🌹💖🌹💖
💖🌹💖🌹💖🌹💖🌹💖🌹💖🌹💖
Neelofar Khan
*ऋषिगण देते हैं शाप अगर, निज भंग तपस्या करते हैं (राधेश्यामी
*ऋषिगण देते हैं शाप अगर, निज भंग तपस्या करते हैं (राधेश्यामी
Ravi Prakash
वक्त के साथ लड़कों से धीरे धीरे छूटता गया,
वक्त के साथ लड़कों से धीरे धीरे छूटता गया,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मृग-मरीचिका
मृग-मरीचिका
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
और तो क्या ?
और तो क्या ?
gurudeenverma198
गुहार
गुहार
Sonam Puneet Dubey
Loading...