कुंडलिया
कुंडलिया
सीता ढूँढे राम को, गली-गली में आज ।
लूट रहे हर मोड़ पर, देखो रावण लाज ।
देखो रावण लाज, लोग सब देखें खेला ।
नारी ने यह दर्द , सदा ही तनहा झेला ।
जो समझे यह पीर, समय वह कब का रीता ।
रावण युग में राम , नगर में ढूँढे सीता ।
सुशील सरना / 10-1-25