पिछले 4 5 सालों से कुछ चीजें बिना बताए आ रही है
कागज का रावण जला देने से क्या होगा इस त्यौहार में
बुद्धि की जो अक्षमता न होती
ए दिल्ली शहर तेरी फिजा होती है क्यूँ
कुछ गीत लिखें कविताई करें।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अगर आप को आप से छोटे नसीहतें देने लगें, तो समझ लेना कि आप जी
फूल
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
इंतजार करते रहे हम उनके एक दीदार के लिए ।
मुक्तक - यूं ही कोई किसी को बुलाता है क्या।
दिल दीवाना हो जाए (भाग-२)
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कार्तिक पूर्णिमा की शाम भगवान शिव की पावन नगरी काशी की दिव
देखकर प्यार से मुस्कुराते रहो।
आज की इस भागमभाग और चकाचौंध भरे इस दौर में,