लो! दिसंबर का महीना आ खड़ा हुआ ,
"सुख पहेली है, दुख पहेली है ll
मेरे खाते में भी खुशियों का खजाना आ गया।
मूर्खों दुष्टों और दुश्मनों को तवज्जो देंगे तो अपना आत्मसम्म
गौ नंदिनी डॉ विमला महरिया मौज
ज़ख्म पर ज़ख्म अनगिनत दे गया
मध्यम परिवार....एक कलंक ।
अपना सम्मान हमें ख़ुद ही करना पड़ता है। क्योंकी जो दूसरों से
योग ही स्वस्थ जीवन का योग है
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
మగువ ఓ మగువా నీకు లేదా ఓ చేరువ..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
ऐ गंगा माँ तुम में खोने का मन करता है…
वो लम्हे जैसे एक हज़ार साल की रवानी थी
काश, वो बचपन के दिन लौट आए...