बेशक ! बसंत आने की, खुशी मनाया जाए
आपस में अब द्वंद है, मिलते नहीं स्वभाव।
प्रेम
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मैं क्या खाक लिखती हूँ ??
पुरूष भी दर्द से बिलखता है।
हम किसे के हिज्र में खुदकुशी कर ले
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सारी दुनिया समझ नहीं सकती ,
*सीढ़ी चढ़ती और उतरती(बाल कविता)*
विपक्ष की "हाय-तौबा" पर सवालिया निशान क्यों...?
इस जन्म में नामुमकिन है,हम दोनों का मेल प्रिये ! (हास्य कविता)