Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Oct 2024 · 6 min read

*वसुधैव समन्वयक गॉंधी*

वसुधैव समन्वयक गॉंधी
🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂
रामपुर 2 अक्टूबर 2024 बुधवार को रामपुर रजा लाइब्रेरी के रंग महल सभागार में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के वसुधैव समन्वयक व्यक्तित्व की छटा फैली। विचार गोष्ठी में देश के चुने हुए विचारकों ने गांधी जी के विश्व व्यापी आभामंडल को श्रोताओं के सामने पूरी जगमगाहट से प्रस्तुत किया। गांधी जी के विचार किस प्रकार सारी दुनिया के लिए प्रेरणा बने, यह बात भी बताई गई तथा गांधी जी के विचारों के मूल में किस प्रकार वह समन्वय का विचार समाहित था; इस बात पर भी प्रकाश डाला गया। सामान्यतः गांधी जयंती पर होने वाली औपचारिकताओं से ऊपर उठकर ‘वसुधैव समन्वयक गांधी’ विचार गोष्ठी ने श्रोताओं को गांधी-चिंतन की गहराई में जाकर आनंदित किया।

डॉ रविकांत मिश्र
🍂🍂🍂🍂🍂
सर्वप्रथम वक्ता डॉ रविकांत मिश्र रहे। आपका परिचय प्रख्यात इतिहासकार तथा संयुक्त निदेशक प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय नई दिल्ली का रहा। आपने बताया कि राजा-महाराजाओं से गांधी जी का एक अलग ही व्यक्तित्व था। यूरोप की सभ्यता का जब चारों तरफ बोलबाला था, गांधी जी ने शिष्टता के साथ भारतीय विचार को प्रस्तुत किया।

उन्होंने हमें अंग्रेजों से नफरत करना नहीं सिखाया बल्कि साम्राज्यवाद के खिलाफ लड़ने की सीख दी। उनका सत्य और अहिंसा सनातन समय से चला आ रहा धर्म का मूल था। उसी को लेकर उन्होंने ब्रिटिश सत्ता से संघर्ष किया। सत्य और अहिंसा केवल सत्याग्रह अथवा असहयोग आंदोलन में ही गांधी जी की रणनीति में ही प्रकट नहीं हुआ; वह गांधी जी के आचरण में उतरा। इसीलिए कवि प्रदीप ने कहा था :
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल
प्रख्यात वैज्ञानिक आइंस्टीन ने गांधी जी के इस कमाल को देखा और कहा कि भविष्य में लोग विश्वास नहीं करेंगे कि हाड़-मांस का कोई पुतला महात्मा गांधी के रूप में इस धरती पर आया था।

मुख्य अतिथि एम.जे.अकबर
🍂🍂🍂
प्रख्यात विचारक, पत्रकार और भूतपूर्व विदेश राज्य मंत्री के रूप में एम.जे. अकबर का मुख्य अतिथि के रूप में परिचय संचालक डॉक्टर प्रीति अग्रवाल ने कराया।
एम.जे.अकबर ने गांधी जी को एक सच्चा वैष्णव बताया। वैष्णव अर्थात वह व्यक्ति जो दूसरे का दर्द समझे और उसके दर्द को आत्मसात कर सके। सारी मनुष्यता का दर्द ही गांधी जी का दर्द था।

उनका सबसे बड़ा योगदान केवल भारत ही नहीं बल्कि सारी दुनिया को भय से मुक्ति दिलाना था। चरखा और खादी इस भय से मुक्ति के हथियार थे। गांधी जी की प्रेरणा से लोग अंग्रेजों से नहीं डरे। परिणामत: केवल भारत ही नहीं दुनिया भर में उपनिवेशवाद की समाप्ति हुई।
बीसवीं सदी, आपने कहा कि, वस्तुत महात्मा गांधी के नाम है। आज भी दुनिया को यह तय करना है कि वह तानाशाही के रास्ते पर बढ़ेगी या गांधी जी के समन्वय के मार्ग को अपनाएगी ?
आपने गांधीवाद के चार प्रमुख स्तंभों को प्रबुद्ध श्रोताओं के समक्ष रखा। कहा कि गांधी जी ने मजहब की आजादी में विश्वास किया जो भारत की हजारों साल पुरानी परंपरा भी है। हर व्यक्ति को वोट देने का अधिकार देने में गांधी जी विश्वास करते थे। इसी में लोकतंत्र की आत्मा निवास करती है। स्त्रियों को पुरुषों के बराबर अधिकार के गांधी जी समर्थक थे। केवल बराबरी ही नहीं, स्त्रियां आगे बढ़कर नेतृत्व करें; गांधी जी यह भी चाहते थे। भूख से आजादी अर्थात जन-जन में आर्थिक आत्मनिर्भरता पैदा करना गांधी जी का लक्ष्य था। जिसका माध्यम उन्होंने चरखे से सूत कातकर आजादी की लड़ाई लड़ना भी सिखाया और दो पैसे कमाने की भी सीख दी।

डॉ विकास पाठक
🍂🍂🍂
आप इंडियन एक्सप्रेस नई दिल्ली में उप सहयोगी संपादक हैं 1985-86 में रामपुर में शिक्षा ग्रहण की थी। आपने बताया कि गांधी जी की सबसे बड़ी देन यह रही कि उन्होंने भारतीयों के भीतर से हीन भावना हटा दी, जबकि अंग्रेज यह सिद्ध करना चाहते थे कि उनके आने के बाद ही भारत एक सुसंस्कृत और सभ्य राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर हुआ है। ‘हिंद स्वराज’ पुस्तक का इस दृष्टि से अपने उल्लेख किया और बताया कि 1920 का असहयोग आंदोलन इस बात पर आधारित था कि हमें अंग्रेजों की व्यवस्थाओं से असहयोग करना होगा। वह असहयोग चाहे अंग्रेजी पद्धति से स्थापित कचहरी हो, स्कूल कॉलेज हों या अंग्रेजी पहनावे के वस्त्र हों। गांधी जी इस अनूठी पद्धति से चल रहे थे कि अंग्रेजों का विरोध करने की भावना जन-जन में बलवती हो जाए लेकिन अंग्रेज अपना दमन चक्र भारतीयों पर न चला पाएं। उन्होंने ऐसे कार्यकर्ता तैयार किये जो विचारों को कार्यों में बदलने वाले थे। जिनके लिए चरखा उनकी जीवन शैली थी।

डॉ. ज्योतिष जोशी
🍂🍂🍂
आप प्रख्यात विचारक, साहित्यकार, लेखक, आलोचक व कलाविद् के रूप में जाने जाते हैं। आप ने अपने वक्तव्य में महात्मा गांधी को भारत की ऋषि परंपरा का व्यावहारिक रूप से अंतिम ऋषि बताया। एक ऐसा ऋषि जिसका दायरा सिर्फ भारत नहीं था बल्कि पूरी दुनिया थी। अपने-अपने देश में मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला जैसे लोगों ने गांधी जी की प्रेरणा से स्वतंत्रता का शंखनाद किया। डाक्टर ज्योतिष जोशी ने राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की इन पंक्तियों को उद्धृत किया:

संदेश यहां पर नहीं स्वर्ग का लाया
इस भूतल को ही स्वर्ग बनाने आया

आपने बताया कि महात्मा गांधी ने संपूर्ण वसुधा को प्रेममय बनाने का आवाहन किया तथा मनुष्य को सत्य-अहिंसा के मार्ग पर चलकर मनुष्य बनने की सीख दी थी।

डॉ. ज्योतिष जोशी ने गांधी जी के सत्य, अहिंसा और स्वराज्य विचारों को व्यापक परिदृश्य में परिभाषित किया। आपने बताया कि अहिंसा का अर्थ सब प्रकार के पार्थक्य को मिटाना है। इसका अर्थ परमपिता से जीव को मिलाना है। तुलसीदास जी को उद्धृत करते हुए आपने कहा:
ईश्वर अंश जीव अविनाशी अर्थात अहिंसा दो आत्माओं में एकत्व की अनुभूति है। अहिंसा का अर्थ आपने यह भी बताया कि किसी की हत्या करना ही नहीं है अपितु कटु वचनों से परहेज करना भी अहिंसा के दायरे में आता है। आपने कहा कि अस्तेय और ब्रह्मचर्य जैसे व्रत तो पुरातन हैं लेकिन गांधी जी ने दो व्रत और जोड़े। एक जीविकार्थ श्रम का विचार था दूसरा स्वदेशी था। स्वराज को अपने आत्म अनुशासन का पर्याय बताया। इसका अर्थ ‘आत्म संयम’ कहा। स्वराज आपने कहा कि जब व्यक्ति अनासक्त भाव से गृहस्थ को जीते हुए समाज को समर्पित हो जाएगा, तब स्वराज स्थापित होगा।

श्रोता समूह को आपने बताया कि स्वराज भारत का पुरातन आदर्श है। ऋग्वेद में इसका उल्लेख है। यह मोक्ष सिद्धि के रूप में है। वैदिक युग में स्वराज एक शासन प्रणाली थी। यही तुलसी का रामराज्य था। इसका अर्थ था :’ सियाराम मय सब जग जानी’
धरती को गांधी जी ने कुटुंब माना। प्रत्येक व्यक्ति से प्रेम करना सिखाया । पशु-पक्षियों और वनस्पतियों तक को आत्मीय भाव से देखा। हमारी सीमाएं देश और मजहब से बाहर जाकर सारी दुनिया का स्पर्श करें, यह गांधी जी का विचार था। गांधी जी उन व्यक्तियों में से नहीं थे जो मन और देह की पवित्रता को अप्रासंगिक मानते हों । गांधी जी उन व्यक्तियों में से थे जिनका मानना था कि मन और देह की पवित्र चेतना से ही मनुष्य पशुता से पृथक हो सकता है। सत्य के प्रति आग्रहशील होना जरूरी है। अपने रामधारी सिंह दिनकर की इस पंक्ति को भी उद्धृत किया: बापू तू मर्त्य-अमर्त्य। कहा कि हर मनुष्य के शरीर में गांधी जी ने अमर्त्य का स्पर्श किया था।

डॉ. पुष्कर मिश्र
🍂🍂🍂
विचार गोष्ठी का अध्यक्षीय संबोधन निदेशक रामपुर रजा पुस्तकालय एवं संग्रहालय डॉक्टर पुष्कर मिश्र का रहा। आपने ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के विचार को ‘वसुधैव समन्वय’ के समकक्ष श्रोता समूह के सम्मुख रखा। आपने बताया कि महात्मा गांधी का कार्य समन्वय था, क्योंकि लोक रचना का कार्य संघर्ष से नहीं समन्वय से होता है। इसी समन्वय पर गांधी जी ने जोर दिया। आज मनुष्य का अस्तित्व संकट में है, क्योंकि वह पर्यावरण और वातावरण से समन्वय स्थापित करने में असफल है। व्यक्तिवाद हावी है। लोग प्रकृति के साथ समन्वय करने के स्थान पर प्रकृति के प्रति लालच का दृष्टिकोण रखते हैं। इसीलिए विश्व संकट में है।

गांधी जी के प्रिय भजन ‘ वैष्णव जन तो तेने कहिए, जे पीर पराई जाने रे’ को उद्धृत करते हुए आपने कहा कि यह तुलसी की ही विचारधारा का प्रकटीकरण था; जिसमें परहित को सबसे बड़ा धर्म और पर-पीड़ा को सबसे बड़ा पाप माना गया था। इस बिंदु पर आकर व्यक्ति के विचार से उसके आचार का महत्व ज्यादा बढ़ जाता है। गांधी जी ने आचरण पर जोर दिया। ‘ आचार: परमो धर्म:’ भारत के प्राचीन संदेश को उन्होंने जन-जन के हृदय में पहुंचाया।
अंत में आपने कहा कि अगर बेहतर भविष्य का निर्माण हम दुनिया के लिए करना चाहते हैं तो हमें गांधी जी को जानना भी होगा और अपनाना भी होगा।
लंबे समय से रामपुर के प्रबुद्ध श्रोता गांधी जी के बारे में एक गंभीर विचार-गोष्ठी की प्रतीक्षा कर रहे थे। रामपुर रजा लाइब्रेरी परिसर ने उनकी प्यास को बुझाने में काफी हद तक सफलता प्राप्त की।
————————————
लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

80 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

शब्द
शब्द
Mahesh Jain 'Jyoti'
एक दीप हर रोज जले....!
एक दीप हर रोज जले....!
VEDANTA PATEL
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
Raju Gajbhiye
वो तारीख़ बता मुझे जो मुकर्रर हुई थी,
वो तारीख़ बता मुझे जो मुकर्रर हुई थी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
The Rotting Carcass
The Rotting Carcass
Chitra Bisht
छोटी कहानी -
छोटी कहानी - "पानी और आसमान"
Dr Tabassum Jahan
" तलब "
Dr. Kishan tandon kranti
To my old self,
To my old self,
पूर्वार्थ
मोहब्बत
मोहब्बत
Shriyansh Gupta
बाल कविता: बंदर मामा चले सिनेमा
बाल कविता: बंदर मामा चले सिनेमा
Rajesh Kumar Arjun
आधुनिक दान कर्म
आधुनिक दान कर्म
मधुसूदन गौतम
संभावना है जीवन, संभावना बड़ी है
संभावना है जीवन, संभावना बड़ी है
Suryakant Dwivedi
वो  हक़ीक़त  पसंद  होती  है ।
वो हक़ीक़त पसंद होती है ।
Dr fauzia Naseem shad
शांति का पढ़ाया पाठ,
शांति का पढ़ाया पाठ,
Ranjeet kumar patre
जीवन
जीवन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
"" *हाय रे....* *गर्मी* ""
सुनीलानंद महंत
ठोकरें खाये हैं जितना
ठोकरें खाये हैं जितना
Mahesh Tiwari 'Ayan'
घर-घर ओमप्रकाश वाल्मीकि (स्मारिका)
घर-घर ओमप्रकाश वाल्मीकि (स्मारिका)
Dr. Narendra Valmiki
व्यर्थ है मेरे वो सारे श्रृंगार,
व्यर्थ है मेरे वो सारे श्रृंगार,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-158के चयनित दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-158के चयनित दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मैं साधना उसकी करूं, जो साधता संसार है,
मैं साधना उसकी करूं, जो साधता संसार है,
Anamika Tiwari 'annpurna '
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
नवचेतना
नवचेतना
संजीवनी गुप्ता
सत्य से सबका परिचय कराएं, आओ कुछ ऐसा करें
सत्य से सबका परिचय कराएं, आओ कुछ ऐसा करें
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
The Natural Thoughts
The Natural Thoughts
Buddha Prakash
बंदूक से अत्यंत ज़्यादा विचार घातक होते हैं,
बंदूक से अत्यंत ज़्यादा विचार घातक होते हैं,
शेखर सिंह
" दफ्तरी परिवेश का मीठ्ठा व्यंग्य "
Dr Meenu Poonia
#हंड्रेड_परसेंट_गारंटी
#हंड्रेड_परसेंट_गारंटी
*प्रणय*
तू मेरे इश्क की किताब का पहला पन्ना
तू मेरे इश्क की किताब का पहला पन्ना
Shweta Soni
Loading...