सुबह सुहानी आ रही, खूब खिलेंगे फूल।
कोई जो पूछे तुमसे, कौन हूँ मैं...?
हो गए दूर क्यों, अब हमसे तुम
माना इंसान अज्ञानता में ग़लती करता है,
करते सच से सामना, दिल में रखते चोर।
फिर एक पल भी ना लगा ये सोचने में........
गर्मी ने दिल खोलकर,मचा रखा आतंक
- अंत ही जीवन की शुरुआत है -
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
अभी बाक़ी है मेरी जान , तेरी जान की साथी ,
चलो प्रिये तुमको मैं संगीत के क्षण ले चलूं....!
singh kunwar sarvendra vikram
ओ जोगी ध्यान से सुन अब तुझको मे बतलाता हूँ।
सर्राफा- हड़ताल वर्ष 2016
रावण, तुम अमर कैसे हो गये
प्रकृति की गोद खेल रहे हैं प्राणी
ग़ज़ल : इन आँधियों के गाँव में तूफ़ान कौन है
मौहब्बत की नदियां बहा कर रहेंगे ।