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23 Sep 2024 · 1 min read

मुक्तक

गुरू ब्रह्म कौ सार है, रहे वेद बतलाय।
खान कबीरा कह गये, गुरु गोविंद कहाय।
हर संकट की राह के, बनते खेवनहार।
ब्रह्म ज्ञान को पा रहे, जो नित शीश नवाय।

Language: Hindi
73 Views

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