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21 Sep 2024 · 1 min read

भाग्य ने पूछा हज़ारों बार,मैं तुम्हारा नाम ले पाया नहीं !

भाग्य ने पूछा हज़ारों बार,मैं तुम्हारा नाम ले पाया नहीं !
फूल द्वारे पर खड़े थे,खिड़कियों पर रातरानी
चाँदनी छत पर सुनाती,प्यार में डूबी कहानी
थे विधाता के सभी उपहार,मैं किसी से काम ले पाया नहीं !
पास मेरे था सभी कुछ,साथ पर दुनिया नहीं थी
तुम सदा थीं साथ मेरे,बस तुम्हारी हाँ नहीं थी
बस यही था एकतरफा प्यार,सांस तक अविराम ले पाया नहीं!
रात मेरी आज तक भी,सिसकियों के साथ लेटी
मुस्कराहट तो मिली पर,प्रश्नपत्रों में लपेटी
हर परीक्षा की सदा स्वीकार,किंतु मैं परिणाम ले पाया नहीं !

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