दुनिया की बातों में न उलझा कीजिए,
(((((((((((((तुम्हारी गजल))))))
ये मन रंगीन से बिल्कुल सफेद हो गया।
वो मुझे अपना पहला प्रेम बताती है।
तेरी यादों ने इस ओर आना छोड़ दिया है
23/191.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
"सम्पाति" जैसे उन्माद में
नेता हुए श्रीराम
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मत कर गीरबो
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
*सबके भीतर हो भरा नेह, सब मिलनसार भरपूर रहें (राधेश्यामी छंद
नेपाली कथा : वान्डर बोका !
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)