Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Sep 2024 · 1 min read

4342.*पूर्णिका*

4342.*पूर्णिका*
🌷 अपना काम करते हम🌷
22 212 22
अपना काम करते हम ।
जग में नाम करते हम ।।
खिलते फूल बगियां में ।
रोज सलाम करते हम ।।
बांटे सब खुशी अपनी।
सच में धाम करते हम ।।
अपना मोल भी जाने ।
ऊँचे दाम करते हम ।।
मस्त ये जिंदगी खेदू।
ना बेनाम करते हम ।।
……….✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
15-09-2024 रविवार

100 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

दिव्य भाव
दिव्य भाव
Rambali Mishra
जीवन उत्साह
जीवन उत्साह
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
"मोड़ आ जाने से"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रेम कहानी
प्रेम कहानी
Vibha Jain
आजकल की सिग्रेट पीती लड़कियों का....
आजकल की सिग्रेट पीती लड़कियों का....
Rakesh Singh
फीका त्योहार !
फीका त्योहार !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
उनसे रहना चाहिए, हमें सदा आगाह
उनसे रहना चाहिए, हमें सदा आगाह
RAMESH SHARMA
राम जन्मभूमि का नया इतिहास
राम जन्मभूमि का नया इतिहास
Sudhir srivastava
ये काबा ये काशी हरम देखते हैं
ये काबा ये काशी हरम देखते हैं
Nazir Nazar
🙅allert🙅
🙅allert🙅
*प्रणय प्रभात*
धागा
धागा
sheema anmol
*तन - मन मगन मीरा जैसे मै नाचूँ*
*तन - मन मगन मीरा जैसे मै नाचूँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ध्यान कर हरी नाम का
ध्यान कर हरी नाम का
Buddha Prakash
4278.💐 *पूर्णिका* 💐
4278.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
समय लगेगा धैर्य रख।
समय लगेगा धैर्य रख।
Author NR Omprakash Athak
*सुबह-सुबह गायों को दुहकर, पात्रों में दूध समाया है (राधेश्य
*सुबह-सुबह गायों को दुहकर, पात्रों में दूध समाया है (राधेश्य
Ravi Prakash
साला - जीजा।
साला - जीजा।
Kumar Kalhans
आते जाते रोज़, ख़ूँ-रेज़ी हादसे ही हादसे
आते जाते रोज़, ख़ूँ-रेज़ी हादसे ही हादसे
Shreedhar
शिव जी प्रसंग
शिव जी प्रसंग
Er.Navaneet R Shandily
प्राकृतिक जब ठहर जाती है।
प्राकृतिक जब ठहर जाती है।
Rj Anand Prajapati
"तुम्हें राहें मुहब्बत की अदाओं से लुभाती हैं
आर.एस. 'प्रीतम'
दिन ढले तो ढले
दिन ढले तो ढले
Dr.Pratibha Prakash
"" *आओ करें कृष्ण चेतना का विकास* ""
सुनीलानंद महंत
खाया-पिया,
खाया-पिया,
TAMANNA BILASPURI
मुक्ति
मुक्ति
Deepesh Dwivedi
नव भानु
नव भानु
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
” असंतुष्टि की गाथा “
” असंतुष्टि की गाथा “
ज्योति
शीर्षक - कुदरत के रंग...... एक सच
शीर्षक - कुदरत के रंग...... एक सच
Neeraj Kumar Agarwal
बात बराबर हैं
बात बराबर हैं
Kumar lalit
रुकना नहीं चाहता कोई
रुकना नहीं चाहता कोई
Shriyansh Gupta
Loading...