Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Sep 2024 · 3 min read

*प्रस्तावना*

मेरा सौभाग्य है कि श्री जितेंद्र कमल आनंद जी ने अपनी कालजई पुस्तक ‘आनंद छंद माला’ की प्रस्तावना लिखने का दायित्व मुझे सौंपा। प्रस्तावना इस प्रकार है:-

प्रस्तावना
————–

आनंद छंद माला’ अद्भुत कृति है। इसके लेखक श्री जितेंद्र कमल आनंद छंद-शास्त्र के मर्मज्ञ हैं। गुरु-शिष्य परंपरा का निर्वहन करते हुए आप अपने शिष्यों को छंद-विधान से लंबे समय से परिचित कराते आ रहे हैं। गुरु का धर्म भी यही होता है।

श्री जितेंद्र कमल आनंद ने ‘आनंद छंद माला’ लिखकर इसी प्राचीन सत्य को दोहराने का अभिनव प्रयास किया है कि काव्य की आत्मा छंद में निवास करती है। छंद-युक्त काव्य ही वास्तविक काव्य है।

आजकल काफी क्षेत्रों में छंद-मुक्त कविता लिखने का फैशन चल पड़ा है। यह काव्य-रचना का ‘शार्टकट’ है। छंद-युक्त कविता साधना चाहती है। उसके लिए परिश्रम करना पड़ता है। छंद विधान में जरा-सी भी त्रुटि भोजन में कंकड़ की तरह चुभती है। लय को साधना और मात्राओं की गणना की कला गुरुओं के चरणों में बैठकर सीखी जाती है। छंद रचना कठिन तो है, लेकिन असंभव नहीं है।

अनेक बार गुरुजन उपलब्ध नहीं होते हैं, ऐसे में साधक क्या करें? ‘आनंद छंद माला’ इसी प्रश्न का उत्तर है। आने वाले लंबे समय तक ‘आनंद छंद माला’ नए और पुराने सब प्रकार के कवियों को छंद-विधान की कसौटी पर खरी रचनाएँ लिखने के लिए एक मार्गदर्शक का काम करेगी।

जितेंद्र कमल आनंद जी ने अनेक छंदों के विधान को उसके छंद में ही लिख कर प्रस्तुत कर दिया है। इससे छंद का उदाहरण भी पाठकों के सामने प्रस्तुत हो गया और छंद का विधान भी पता चल गया। इस दृष्टि से ‘ मुक्तामणि छंद’ का एक उदाहरण दृष्टव्य हैः

तेरह-तेरह जानकर, विषम चरण ‘मणि’ गाना
सम चरणों में बारहा, मुक्तामणि को माना

उपरोक्त में तेरह-बारह की अंतर्यति के साथ पच्चीस मात्राओं के विधान को स्वयं प्रस्तुतिकरण के माध्यम से जितेंद्र कमल आनंद जी ने स्पष्ट कर दिया।

शिखरनी छंद’ की परिभाषा और विधान भी लेखक ने अपनी छंद पुस्तक में अत्यंत सरलता से प्रस्तुत कर दिया है। आप लिखते हैं:

अक्षराक्षर
शिखरनी छंद है
सत्रहाक्षर

सायली छंद यों तो छोटा है, लेकिन इसका विधान समझने की चीज है। रचनाकार ने सरल शब्दों में इसका विधान भी बताया है। आप लिखते हैं:

सायली
एक-दो
तीन शब्द लिखें
फिर दो
एक

इस तरह क्रमशः एक, दो, तीन शब्द लिखने के उपरांत पुनः दो और एक शब्द लिखकर पॉंच पंक्तियों में सायली छंद रचना की सरल विधि लेखक ने पुस्तक में बता दी है।

आजकल गीतिका भी हिंदी काव्य में खूब लिखी जा रही है। अष्टमात्रिक गीतिका का छंद-विधान लेखक ने निम्न शब्दों में उदाहरण सहित प्रस्तुत किया है:

हरदम-हरदम
ऑखें क्यों नम

कान बज रहे
पायल छम-छम

हरिगीतिका छंद सोलह, बारह मात्राओं का रहता है। प्रतिभाशाली कवि श्री जितेंद्र कमल आनंद ने हरिगीतिका छंद का भी उदाहरण अपनी पुस्तक में दिया है। दो पंक्तियों प्रस्तुत हैं:

यह सत्य शिव सुंदर सरस मधु, काव्य मूलाधार है
संकल्प जिसमें निहित शिव का, सहज बेड़ा पार है

कुल मिलाकर छंद की पहचान करना, छंद में काव्य की रचना करना तथा काव्य-लेखन के क्षेत्र में छंद की संगीतात्मकता को जीवन में उतार लेने का आग्रह करती श्री जितेंद्र कमल आनंद की पुस्तक ‘आनंद छंद माला’ हिंदी जगत को रचनाकार का महान उपहार है।

लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451
—————————————
पुस्तक का नाम: आनंद छंद माला (भाग 1), 108 प्रकार के छंदों का संग्रह
प्रणेता: जितेंद्र कमल आनंद संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय काव्यधारा, रामपुर (उत्तर प्रदेश) एवं आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्यधारा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
सॉंई मंदिर के पास, सॉंई विहार कॉलोनी, रामपुर 244901 (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 73006 35812
प्रकाशक: विभु सक्सेना
आस्था एनक्लेव, लालपुर, किच्छा रोड, रूद्रपुर, उधम सिंह नगर (उत्तराखंड)
मोबाइल 99170 91002
प्रकाशन वर्ष: हिंदी दिवस 15 सितंबर 2024

287 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

हमसफ़र
हमसफ़र
Sudhir srivastava
थोड़ी सी गुफ्तगू क्या हो गई कि उन्होंने मुझे ही सरफिरा समझ ल
थोड़ी सी गुफ्तगू क्या हो गई कि उन्होंने मुझे ही सरफिरा समझ ल
SATPAL CHAUHAN
मुझे नाम नहीं चाहिए यूं बेनाम रहने दो
मुझे नाम नहीं चाहिए यूं बेनाम रहने दो
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अंजान बनते हैं वो यूँ जानबूझकर
अंजान बनते हैं वो यूँ जानबूझकर
VINOD CHAUHAN
वो अपने दर्द में उलझे रहे
वो अपने दर्द में उलझे रहे
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
तरक्की से तकलीफ
तरक्की से तकलीफ
शेखर सिंह
पत्नी होना भी आसान नहीं,
पत्नी होना भी आसान नहीं,
लक्ष्मी सिंह
"दोस्ताना "
DrLakshman Jha Parimal
चलते-फिरते लिखी गई है,ग़ज़ल
चलते-फिरते लिखी गई है,ग़ज़ल
Shweta Soni
अगर आप हमारी मोहब्बत की कीमत लगाने जाएंगे,
अगर आप हमारी मोहब्बत की कीमत लगाने जाएंगे,
Kanchan Alok Malu
मशीनों ने इंसान को जन्म दिया है
मशीनों ने इंसान को जन्म दिया है
Bindesh kumar jha
औरत अश्क की झीलों से हरी रहती है
औरत अश्क की झीलों से हरी रहती है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
तूने मुझे भुला तो कबका दिया था, तूने बताया तब जब कोई और मिला
तूने मुझे भुला तो कबका दिया था, तूने बताया तब जब कोई और मिला
Iamalpu9492
.
.
Ragini Kumari
कोशिश करके हार जाने का भी एक सुख है
कोशिश करके हार जाने का भी एक सुख है
पूर्वार्थ
चलो चलें हम कुंभ नहाएँ
चलो चलें हम कुंभ नहाएँ
S K Singh Singh
भगवान भी शर्मिन्दा है
भगवान भी शर्मिन्दा है
Juhi Grover
या खुदाया !! क्या मेरी आर्ज़ुएं ,
या खुदाया !! क्या मेरी आर्ज़ुएं ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
"अजीब दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
दोहा-सुराज
दोहा-सुराज
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मौतों से उपजी मौत
मौतों से उपजी मौत
Dr MusafiR BaithA
मेघ, वर्षा और हरियाली
मेघ, वर्षा और हरियाली
Ritu Asooja
3163.*पूर्णिका*
3163.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*जीवन का सार यही जानो, सच्चाई जीवन में घोलो (राधेश्यामी छंद
*जीवन का सार यही जानो, सच्चाई जीवन में घोलो (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
कोई कितना
कोई कितना
Dr fauzia Naseem shad
अब तो मिलने में भी गले - एक डर सा लगता है
अब तो मिलने में भी गले - एक डर सा लगता है
Atul "Krishn"
👉 प्रभात की बात :--
👉 प्रभात की बात :--
*प्रणय प्रभात*
हर मुश्किल का हल निकलेगा..!
हर मुश्किल का हल निकलेगा..!
पंकज परिंदा
प्यार का रिश्ता, जन्म का रिश्ता
प्यार का रिश्ता, जन्म का रिश्ता
Surinder blackpen
हाथों से करके पर्दा निगाहों पर
हाथों से करके पर्दा निगाहों पर
gurudeenverma198
Loading...