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10 Sep 2024 · 1 min read

**जिंदगी की ना टूटे लड़ी**

**जिंदगी की ना टूटे लड़ी**
***********************

आ गई है मुश्किल सी घड़ी,
जिंदगी की ना टूटे लड़ी।

रात – दिन बेचैनी बढ़ रही,
आँसुओं की आई है झड़ी।

कुछ समझ में है आता नहीं,
बात हद-बेहद से भी बड़ी।

नींद आँखों में आती नहीं,
प्रेम की आई अंतिम कड़ी।

याद गहरी रग-रग भर गई,
मोतियों – हीरों सी है जड़ी।
,
क्या करे मनसीरत लापता,
मौत बन आ कर जैसे खड़ी।
**********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)

68 Views

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