Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Feb 2024 · 1 min read

देखते देखते मंज़र बदल गया

देखते देखते मंज़र बदल गया
धूप भी सिमट गयी
बादलों के आग़ोश में

पता नहीं पहाड़ों के बर्फ़
कब पिघलेंगे
देवदार के पेड़ भी
बर्फ़ की परतों से हैं बोझल

टूटे खिड़कियों से आती
ये सर्द हवा
फटे परदे रोक नहीं पातीं

ना जानें चराग़ की
कपकपाती लौ
कब बुझ जायेगी

2 Likes · 175 Views
Books from Atul "Krishn"
View all

You may also like these posts

सैनिक
सैनिक
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
नवरात्रि - गीत
नवरात्रि - गीत
Neeraj Agarwal
*कुल मिलाकर आदमी मजदूर है*
*कुल मिलाकर आदमी मजदूर है*
sudhir kumar
कोशिश करना छोड़ो मत,
कोशिश करना छोड़ो मत,
Ranjeet kumar patre
3874.💐 *पूर्णिका* 💐
3874.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
“उसकी यादें”
“उसकी यादें”
ओसमणी साहू 'ओश'
कोई पढे या ना पढे मैं तो लिखता जाऊँगा  !
कोई पढे या ना पढे मैं तो लिखता जाऊँगा !
DrLakshman Jha Parimal
तेरी सादगी
तेरी सादगी
Mandar Gangal
चौपाई छंद गीत
चौपाई छंद गीत
seema sharma
नव अंकुर स्फुटित हुआ है
नव अंकुर स्फुटित हुआ है
Shweta Soni
मैं तुम्हारी क्या लगती हूँ
मैं तुम्हारी क्या लगती हूँ
Akash Agam
मेरा देश , मेरी सोच
मेरा देश , मेरी सोच
Shashi Mahajan
पछताता हूं फिर भी
पछताता हूं फिर भी
Kaviraag
#क़तआ / #मुक्तक
#क़तआ / #मुक्तक
*प्रणय*
बुद्धित्व क्षणिकाँये
बुद्धित्व क्षणिकाँये
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अजब गजब
अजब गजब
Akash Yadav
" मृत्यु "
Dr. Kishan tandon kranti
मुक्तक-
मुक्तक-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मन-क्रम-वचन से भिन्न तो नहीं थे
मन-क्रम-वचन से भिन्न तो नहीं थे
manorath maharaj
"पहले मुझे लगता था कि मैं बिका नही इसलिए सस्ता हूँ
गुमनाम 'बाबा'
भीतर का तूफान
भीतर का तूफान
Sandeep Pande
ख्वाब जब टूटने ही हैं तो हम उन्हें बुनते क्यों हैं
ख्वाब जब टूटने ही हैं तो हम उन्हें बुनते क्यों हैं
PRADYUMNA AROTHIYA
बचपन
बचपन
Vedha Singh
प्रेम कहाँ है?
प्रेम कहाँ है?
आशा शैली
ठंडी हवा दिसंबर की।
ठंडी हवा दिसंबर की।
लक्ष्मी सिंह
प्राण प्रतिष्ठा और दुष्ट आत्माएं
प्राण प्रतिष्ठा और दुष्ट आत्माएं
Sudhir srivastava
परोपकार
परोपकार
Roopali Sharma
कुरीतियों पर प्रहार!
कुरीतियों पर प्रहार!
Harminder Kaur
होली है ....
होली है ....
Kshma Urmila
रातों में कभी आसमान की ओर देखना मेरी याद आएगी।
रातों में कभी आसमान की ओर देखना मेरी याद आएगी।
Rj Anand Prajapati
Loading...