थोड़ा पैसा कमाने के लिए दूर क्या निकले पास वाले दूर हो गये l
ग़ज़ल (थाम लोगे तुम अग़र...)
मुझसे न पूछ दिल में तेरा क्या मुक़ाम है ,
बाबू मेरा सोना मेरा शेर है
दोस्त जीवन में मिल ही जाते हैं।
-अगर हम अपने अनुभवों पर आए तो सारे रिश्ते तोड़ जाए -
सब कुछ देख लिया इस जिंदगी में....
कोई दुनिया में कहीं भी मेरा, नहीं लगता
*घर पर उर्दू का पुट, दुकान पर मुंडी लिपि*
रमेशराज की पत्नी विषयक मुक्तछंद कविताएँ
मन के अंदर एक समंदर भाव की धारा बहती है,
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -171
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कुछ बूँद हिचकियाँ मिला दे
सत्य क्या है ?
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)