Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Feb 2024 · 2 min read

*पिताजी को मुंडी लिपि आती थी*

पिताजी को मुंडी लिपि आती थी
_________________________
वर्ष 1984 में पिताजी ने पूरा बहीखाता मुंडी लिपि से देवनागरी लिपि में परिवर्तित किया था। पिताजी श्री राम प्रकाश सर्राफ को मुंडी लिपि खूब आती थी। लिखने का उनका अभ्यास अधिक नहीं था लेकिन पढ़ने की जरूरत उन्हें आमतौर पर रोजाना ही पड़ जाया करती थी।

बहीखाते तैयार करने और उन्हें देखकर ग्राहकों को हिसाब बताने का कार्य मुनीम जी (पंडित प्रकाश चंद्र जी) के पास था। वही ग्राहक के आने पर बहीखाते को देखकर यह बताते थे कि ग्राहक की तरफ हिसाब-किताब कितना है। बहीखातों को तैयार करने का काम भी पंडित जी के ही जिम्में था।

दशहरे पर बहीखाता बदला जाता था। यह सारा कार्य मुंडी लिपि में ही होता था। पंडित जी दुकान खोलने के आधे-पौन घंटे बाद दुकान पर आ जाते थे तथा जब शाम को दुकान बंद होती थी, उससे एक-डेढ़ घंटे पहले अपने घर चले जाते थे। अगर पंडित जी अनुपस्थित हैं तो मुंडी लिपि में बहीखाते को पढ़ने का कार्य पिताजी के ही जिम्में रहता था। वही बता सकते थे कि बही खाते में क्या लिखा है ?

मुंडी लिपि में बहीखाते जब से दुकान शुरू हुई, तब से ही लिखे जा रहे थे ।

पिताजी को हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और उर्दू का अच्छा ज्ञान था। वह राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन के अंग्रेजी भाषण के उच्चारण और प्रवाह के अत्यंत प्रशंसक थे। दुकान पर भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और सरदार पटेल के साथ-साथ डॉक्टर राधाकृष्णन का भी बड़ा-सा चित्र उन्होंने लगा रखा था। जब से मैंने होश सॅंभाला, इन चारों चित्रों को दुकान पर सुसज्जित पाया।

वह उर्दू का अखबार भी पढ़ते थे। प्लेट को रकेबी तथा शेविंग को खत बनाना शब्द अक्सर प्रयोग में लाते थे। 9 अक्टूबर 1925 को उनका जन्म हुआ था। इस तरह जीवन के प्रारंभिक पच्चीस वर्ष रियासती नवाबी शासन के अंतर्गत उनके बीते थे। यह रामपुर में उर्दू प्रभुत्व के दिन थे।

अपने द्वारा स्थापित सभी संस्थाओं में उन्होंने भवनों पर नाम अंकित करने में देवनागरी लिपि का ही प्रयोग किया। इससे भी बढ़कर विक्रम संवत को पुराने देवनागरी अंकों के साथ उन्होंने लिखवाया था। यह प्रवृत्ति सुंदरलाल इंटर कॉलेज, टैगोर शिशु निकेतन और राजकली देवी शैक्षिक पुस्तकालय में प्रत्यक्ष रूप से देखी जा सकती है।

मुनीम जी की मृत्यु के बाद भारी-भरकम बही खाता जो डबल फोल्ड वाला था, उसे मुंडी लिपि से देवनागरी लिपि में उतारने का काम बहुत ज्यादा श्रम-साध्य था। मुश्किल इसलिए भी थी कि पिताजी ने कभी बहीखाता नहीं उतारा था। देवनागरी लिपि में उन्होंने नए वर्ष का बहीखाता तैयार किया और फिर हर वर्ष यह कार्य मेरे लिए कर पाना बहुत सरल हो गया।
————–
लेखक: रवि प्रकाश रामपुर

180 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

बस्ती  है  मुझमें, तेरी जान भी तो,
बस्ती है मुझमें, तेरी जान भी तो,
Dr fauzia Naseem shad
वह नारी
वह नारी
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
तुमने सोचा तो होगा,
तुमने सोचा तो होगा,
Rituraj shivem verma
*चेहरे की मुस्कान*
*चेहरे की मुस्कान*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
जन्मजात जो है गरीब तो क्या?
जन्मजात जो है गरीब तो क्या?
Sanjay ' शून्य'
मिला क्या है
मिला क्या है
surenderpal vaidya
ज़ख्म मिले तितलियों से
ज़ख्म मिले तितलियों से
अरशद रसूल बदायूंनी
नज़्म
नज़्म
सुरेखा कादियान 'सृजना'
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mamta Rani
चांद देखा
चांद देखा
goutam shaw
कठिनाइयाँ डरा रही है
कठिनाइयाँ डरा रही है
लक्ष्मी सिंह
शब्द की महिमा
शब्द की महिमा
ललकार भारद्वाज
यदि आप स्वयं के हिसाब से परिस्थिती चाहते हैं फिर आपको सही गल
यदि आप स्वयं के हिसाब से परिस्थिती चाहते हैं फिर आपको सही गल
Ravikesh Jha
अतीत की कुछ घटनाएं भविष्य का भी सब कुछ बर्बाद कर देती हैं, म
अतीत की कुछ घटनाएं भविष्य का भी सब कुछ बर्बाद कर देती हैं, म
Ritesh Deo
मेरी प्रिया *********** आ़ॅंसू या सखी
मेरी प्रिया *********** आ़ॅंसू या सखी
guru saxena
*याद तुम्हारी*
*याद तुम्हारी*
Poonam Matia
"जन्मदिन"
ओसमणी साहू 'ओश'
***किस दिल की दीवार पे…***
***किस दिल की दीवार पे…***
sushil sarna
जन्म से
जन्म से
Santosh Shrivastava
Home Sweet Home!
Home Sweet Home!
R. H. SRIDEVI
जिंदगी का सफ़र
जिंदगी का सफ़र
Shubham Anand Manmeet
2122 1212 22112
2122 1212 22112
SZUBAIR KHAN KHAN
जो अपने दिल पे मोहब्बत के दाग़ रखता है।
जो अपने दिल पे मोहब्बत के दाग़ रखता है।
Dr Tabassum Jahan
समस्त महामानवों को आज प्रथम
समस्त महामानवों को आज प्रथम "भड़ास (खोखले ज्ञान) दिवस" की धृष
*प्रणय*
କୁଟୀର ଘର
କୁଟୀର ଘର
Otteri Selvakumar
सपनों की धुंधली यादें
सपनों की धुंधली यादें
C S Santoshi
हँसते हैं, पर दिखाते नहीं हम,
हँसते हैं, पर दिखाते नहीं हम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
भारत अध्यात्म का विज्ञान
भारत अध्यात्म का विज्ञान
Rj Anand Prajapati
"प्यासा"के गजल
Vijay kumar Pandey
Loading...