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30 Aug 2024 · 1 min read

नमन वंदन सदा करता।

नमन वंदन सदा करता।
सदा सत्कार करता हूँ।
सजे महफिल कहीं पर भी।
यही हर बार करता हूँ।
मिली यह सीख गुरुओं से।
कविता पाठ की मुझको।
सादगी से सभाजन का।
सदा आभार करता हूँ।।
@अरविंद भारद्वाज

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