शुभ गगन-सम शांतिरूपी अंश हिंदुस्तान का
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
रामपुर में काका हाथरसी नाइट
आखिर मुझे कहना है संवेदना है वो वेदना है
दूरियों से ही इत्तिफ़ाक़ रहा,
अवसर सूर्योदय की तरह होते हैं, यदि आप बहुत देर तक प्रतीक्षा
नजरों के वो पास हैं, फिर भी दिल दूर ।
सच्चाई है कि ऐसे भी मंज़र मिले मुझे
लौ मुहब्बत की जलाना चाहता हूँ..!
भीख में मिले हुए प्यार का
श्री श्याम भजन 【लैला को भूल जाएंगे】