किसी की इज़्ज़त कभी पामाल ना हो ध्यान रहे
एहसासों को अपने अल्फ़ाज़ देना ।
शिव बन शिव को पूजिए, रखिए मन-संतोष।
लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी
"शीशा और रिश्ता बड़े ही नाजुक होते हैं
कैसे कहें के तुझसे प्यार ही प्यार है,
नौकरी न मिलने पर अपने आप को अयोग्य वह समझते हैं जिनके अंदर ख
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
काम चलता रहता निर्द्वंद्व
भगदड़ कैसी है मची, फूटे कई कपाल।
गिरें पत्तों की परवाह कौन करें
हर एक भाषण में दलीलें लाखों होती है
■ #NETA को नहीं तो #NOTA को सही। अपना #VOTE ज़रूर दें।।
ग़ज़ल के क्षेत्र में ये कैसा इन्क़लाब आ रहा है?