"अतिथि "
“अतिथि ”
होठों पर जरा मुस्कान सजाओ,
अतिथि होते सदा देव समान।
हृदय से स्वागत करना जरूरी,
खुला रखो सदा अपना मकान।
“अतिथि ”
होठों पर जरा मुस्कान सजाओ,
अतिथि होते सदा देव समान।
हृदय से स्वागत करना जरूरी,
खुला रखो सदा अपना मकान।