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20 Aug 2024 · 1 min read

*करते श्रम दिन-रात तुम, तुमको श्रमिक प्रणाम (कुंडलिया)*

करते श्रम दिन-रात तुम, तुमको श्रमिक प्रणाम (कुंडलिया)
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करते श्रम दिन-रात तुम, तुमको श्रमिक प्रणाम
वर्षा गर्मी शीत में, करते हरदम काम
करते हरदम काम, बोझ अविराम उठाते
सिर पर ढोते ईंट, फावड़ा दिखते लाते
कहते रवि कविराय, नहीं जोखिम से डरते
सड़कों के निर्माण, पूर्ण शिखरों को करते

रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा,रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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