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6 Aug 2024 · 3 min read

क्या ये किसी कलंक से कम है

मेरा प्रश्न /आग्रह
आजादी अमृत महोत्सव के अवसर पर हमारे पटल ने भी एक आयोजन रखा है लेकिन एक प्रश्न है कि सभी आयोजनों में चंद क्रांतिकारियों का ही जिक्र किया जाता है उनके साथियों के बारे में जानने का कोई प्रयास कभी भी कहीं भी नहीं किया जाता आखिर क्यों ? हम विधायक चुनते हैं लोकसभा सदस्य चुनते सरकारें बनाते हैं आखिर कैसे ..आखिर कैसे हम यहाँ तक पहुंचे ……हम ये क्यों नहीं बताते ……….सभी जानते हैं कि भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में दो प्रकार से संघर्ष किया जा रहा था एक था अहिंसात्मक मार्ग …………जहाँ कुलीन वर्ग या कहा जाए धनाढ्य वर्ग था
दूर था सशस्त्र क्रन्तिकारी समूह ..रिपब्लिकन पार्टी ………..
जेल दोनों को होती थी ………लेकिन जेल में यातनाएं केवल …….. सशस्त्र क्रन्तिकारी समूह के हिस्से आती थी …………जहाँ एक ओर सम्मान बात चीत के जरिये मसले हल होते थे वहीँ हाथों के नाख़ून खींचना आम बात थी ……….अगर वो स्त्री है तो उनके कपड़े फाड़ना उनका प्रिय उत्पीड़न था या लोहे के गोल चकरे पर बांध कर उसे घुमा देना जिसमें शरीर का अंग अंग टूट जाता था …………
ये सिलसिला यहाँ तक ही नहीं रुका आजादी एक बाद भी चलता रहा अपवादों को छोड़कर महिला क्रान्तिकारियो का कहीं उल्लेख नहीं किया जाता ………..काकोरी कांड के ४४ अभियुक्तों
में शायद ही कोई किसी महिला क्रांतिकारी का नाम जानता हो .जबकि हिदुस्तान रिपब्लिक पार्टी हो हिदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन या बंगाल के सशत्र संघर्ष हो कोई भी बिना महिला क्रांतिकारियों के सहयोग के बिना असंभव हैं ………..आपको याद है भगत सिंह का हैट वाला फोटो और उनके साथ एक महिला, छोटा बच्चा शची , ……….इतना बड़ा नाम हमसे छिपाया गया अरे औरतों ने अपने मंगल सूत्र तक बेचे हैं इस आहुति में उन्होंने अपने सुहाग को गोली मारी है खुद पोटेशियम साईनायड के कैप्सूल खाए हैं अपना तन छिलवाया है इतना ही नहीं कई वैश्यओं ने अंग्रेजो को धोखे से लूटकर इन क्रांतिकारियों को हथियार खरीदने के लिए धन उपलब्ध करवाया है हर वर्ग का सहयोग रहा लेकिन उन्हें इतिहास से क्यों गुम किया गया …………क्यों ये पक्ष पात किया गया क्या अरुणा आसिफ अली का योगदान नीरा आर्य से ज्यादा था या नीरा का कम ………ये मुद्दा नहीं एक प्रश्न है ?……..
बहुत खोजने केवल एक उदाहरण मिला है वो भी जयललिता का जिसने किसी महिला क्रन्तिकारी को घर दिया ……..
आप जानते हैं दुर्गा भाभी का क्या हुआ …………
..अग्नि कन्या बीना दास इनका शव पहचानने में एक माह लगा लावारिस पाया गया …………
बहुत दर्द नाक किस्से हैं ये | इन महान महिला क्रांतिकारियों का जो अंत हुआ वो हमारे समाज पर किसी कलंक से कम नहीं है ….उनमें एक कई तो ऐसे हैं जिनके बारे में सोचकर कई दिन नींद नही आती ……….
क्या माह में एक दिन हम उन्हें अपने पटल पर याद कर सकते ? क्या एक दिन उनके नाम किया जा सकता है .यदि हाँ तो मेरे लेख लिखने का उद्देश्य सफल हो जाएगा …………आइये महान वीरांगनाओ को याद करें …………………हो सके तो इस श्रंखला में सहयोग दें आस पास भी खोजें और उनकी कहानी भी मुझे दे सकते हैं
यदि किसी का मन करे इनके बारे में जानने का या सहयोग करने (कुछ और नया बताने का ) तो कृपया मुझसे सम्पर्क कर सकता/सकती है … हमारे किस्सों का बक्सा कार्यक्रम से जुड़ सकता है बल्कि अनिवार्यतः जुड़ना चाहिए यही हमारा आपका इतिहास है … महिलाओं के अदम्य साहस त्याग वीरता को याद करना स्वयं को याद करना है उनके लिए दिन समय अवश्य निकालिए ………और अवश्य जुड़कर स्वयं को गौरवान्वित कीजिये उन्हें आजादी के पावन पर्व पर नमन कीजिये …
https://www.youtube.com/live/3J5gE89e4rs?si=l7ib5rFlEIdKZGBA

https://www.youtube.com/live/ssDJPqA9geQ?si=o0-2eqM53Z315SuY

https://www.youtube.com/live/V13QLU60ww8?si=rf21YcDUwKH97vd0
स्वतंत्रता दिवस पर एक आग्रह

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 124 Views
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