बेसबब हैं ऐशो इशरत के मकाँ
सच हार रहा है झूठ की लहर में
उसके गालों का तिल करता बड़ा कमाल -
नए वर्ष की इस पावन बेला में
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दुश्मन कैसा भी रहे, अच्छा बुरा विचित्र
बसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कोई त्योहार कहता है कोई हुड़दंग समझता है
दिल पहले शीशा था,अब पत्थर बना लिया।
मैं जीना सकूंगा कभी उनके बिन
कभी उन बहनों को ना सताना जिनके माँ पिता साथ छोड़ गये हो।
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
International Day Against Drug Abuse