Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Aug 2024 · 3 min read

■ मिथक के विरुद्ध मेरी सोच :-

#दिवस_विशेष (नाग पंचमी)
■ मिथक के विरुद्ध मेरी सोच :-
◆ नाग पंचमी एक प्रेरक पर्व
◆ प्रकृति से जुड़ा है ये पर्व◆
आज श्रावण शुक्ल की पंचमी तिथि है। जिसे नाग पंचमी के रूप में जाना जाता है। यह मूलतः एक पारंपरिक पर्व है। जो सदियों से धार्मिक लोकपर्व माना जाता रहा है। आज भी इसे लेकर जनआस्था बरक़रार है। एक जीवंत प्रमाण है धर्मनगरी उज्जैन का श्री नाग चन्द्रेश्वर मंदिर। जो वर्ष में एक बार इसी दिन खुलता है। श्री महाकाल मंदिर के शिखर पर स्थित इस मंदिर में भगवान शिव नागराज के फन पर सपरिवार विराजित हैं। एक रात पहले से लगने वाली क़तारों में असंख्य दर्शनार्थी सैलाब बन कर उमड़ते हैं। जिन्हें इस पर्व पर दर्शन का अवसर एक नियत समय तक ही हो पाता है।
तमाम मिथक भी इस पर्व से जुड़े रहे हैं। जो धर्मीक के सिवा वैज्ञानिक और प्राकृतिक मान्यताओं के भी विपरीत माने जाते थे। बदलते समय व सत्यान्वेषण के बाद निष्कर्ष यह निकला कि यह पर्व धार्मिक भावना ही नहीं, प्रकृति और जीव संरक्षण के सरोकारों से भी जुड़ा हुआ है। जो प्रकृति रक्षक के रूप में सर्पों की महत्ता को रेखांकित करता है। प्रकृति संतुलन में सरीसृप वंश की भूमिका भी स्पष्ट करता है। जो प्रेरणादायी है।
भगवान श्री शिव के प्रिय माने जाने वाले सर्प (नाग) मूलतः प्रकृति के संरक्षक भी हैं। यह चूहों, चींटियों व दीमकों जैसे तमाम जीवों व कीटों का भक्षण कर वृक्ष और भूमि के संरक्षण में मददगार होते हैं। वहीं पर्यावरणीय सुरक्षा व संतुलन में भी अहम भूमिका निभाते हैं। इस दृष्टिकोण से इस पर्व को सरीसृप वर्ग के जीवों के संरक्षण व सम्मान से जोड़ कर भी देखा जा सकता है। जिसमे अवेज्ञानिक पाखण्ड सर्वथा अनुचित है।
सर्प का दुग्धपान, सर्पिणी का प्रतिकार या बीन की धुन पर नृत्य जैसी धारणाओं का सच से कोई वास्ता नहीं। जीव विज्ञानी इसे अन्यायपूर्ण व आधारहीन बताते हैं। ऐसे में आवश्यक यह है कि हम इसी सृष्टि के अतिप्राचीन सरीसृप वर्ग के अस्तित्व का सम्मान प्रकृति रक्षक के रूप में करें। धार्मिक भाव से सर्प का पूजन उसकी आकृति या प्रतिमा के रूप में ही करें। उन्हें जबरन दूध पिलाने के उस प्रयास से बचें जो सांपों के लिए कष्टकारी व जानलेवा है। सनातन संस्कृति सृष्टि के कण-कण में ईश्वरीय अंश की मान्यता से प्रेरित है। इस अवधारणा के अनुसार सर्प को देवता मानने में कोई अपराध या आपत्ति नहीं। अपराध है उन्हें छेड़ना, सताना और मारना। कारणवश उनका विष निकालना व उसे नशे का माध्यम बनाना। झूठी कथाओ के आधार पर फ़िल्म बना कर जनमानस को भ्रमित करना भी। सर्प आगे से किसी का अहित नहीं करते। उनका दंश केवल आत्मरक्षा के प्रयास का परिणाम होता है। आवश्यकता इस बात की है कि हम उनके क्षेत्र में अनाधिकृत घुसपैठ से परहेज़ करें तथा उन्हें भी अन्य जीवों की तरह अपना जीवन अपने नैसर्गिक ढंग से जीने दें।
प्रकृति व जीव संरक्षण के प्रतीक इस पर्व की आप सभी को बधाइयां। पर्यावरणप्रियों, जीवरक्षकों और धर्मप्रेमियों दोनों से आग्रह है कि इस तरह की जानकारियों को समाज के साथ साझा भी करें, जो इस प्रतीकात्मक पर्व की सार्थकता है। आज संकल्प लें इस दिवस को धर्म और विज्ञान के साझा पर्व के रूप में मनाने व जन चेतना जगाने ल का।
निष्कर्ष बस इतना सा है कि सृष्टि में सब उपयोगी हैं। कोई अनुपयोगी नहीं। सबके तालमेल से ही प्रकृति का संतुलन संभव है। जिसे हम पारस्परिक निर्भरता या सह-अस्तित्व भी कह सकते हैं। वास्तविक सह-अस्तित्व सिद्धांत भी शायद यही है। जिसकी प्रेरणा हमारे पूर्वजों ने धर्म संस्कृति के माध्यम से दी है। जिसे अगली पीढ़ी को सौंपना हमारा कर्तव्य है।

©®- सम्पादक
न्यूज़ & व्यूज़, श्योपुर (मप्र)

1 Like · 65 Views

You may also like these posts

कुछ फ़क़त आतिश-ए-रंज़िश में लगे रहते हैं
कुछ फ़क़त आतिश-ए-रंज़िश में लगे रहते हैं
Anis Shah
छठ का शुभ त्यौहार
छठ का शुभ त्यौहार
surenderpal vaidya
यूं इश्क़ में इतनी रवादारी भी ठीक नहीं,
यूं इश्क़ में इतनी रवादारी भी ठीक नहीं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*महाराजा अग्रसेन और महात्मा गॉंधी (नौ दोहे)*
*महाराजा अग्रसेन और महात्मा गॉंधी (नौ दोहे)*
Ravi Prakash
यदि गलती से कोई गलती हो जाए
यदि गलती से कोई गलती हो जाए
Anil Mishra Prahari
............
............
शेखर सिंह
भावी युद्ध ...
भावी युद्ध ...
SURYA PRAKASH SHARMA
शुक्र है भगवान का
शुक्र है भगवान का
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
अजीज़ सारे देखते रह जाएंगे तमाशाई की तरह
अजीज़ सारे देखते रह जाएंगे तमाशाई की तरह
_सुलेखा.
बचपन
बचपन
अवध किशोर 'अवधू'
दोहा छंद विधान ( दोहा छंद में )
दोहा छंद विधान ( दोहा छंद में )
Subhash Singhai
लोग कहते हैं कहने दो लोगो का क्या ?
लोग कहते हैं कहने दो लोगो का क्या ?
Abasaheb Sarjerao Mhaske
उसकी मर्जी
उसकी मर्जी
Satish Srijan
A heart-broken Soul.
A heart-broken Soul.
Manisha Manjari
स्वयं से बात
स्वयं से बात
Rambali Mishra
तू इतना जरूरी क्यों
तू इतना जरूरी क्यों
Anant Yadav
मौसम जब भी बहुत सर्द होता है
मौसम जब भी बहुत सर्द होता है
Ajay Mishra
तीखे दोहे
तीखे दोहे
Rajesh Kumar Kaurav
🙅दूसरा पहलू🙅
🙅दूसरा पहलू🙅
*प्रणय*
काम चले ना
काम चले ना
ललकार भारद्वाज
मेरे यादों के शहर में।
मेरे यादों के शहर में।
Faiza Tasleem
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
#ਜੇ ਮੈਂ ਆਖਾਂ ਨਹੀਂ ਜਾਣਾ
#ਜੇ ਮੈਂ ਆਖਾਂ ਨਹੀਂ ਜਾਣਾ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
जिंदगी हवाई जहाज
जिंदगी हवाई जहाज
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
বিষ্ণুর গান
বিষ্ণুর গান
Arghyadeep Chakraborty
बात मेरी होगी,कल
बात मेरी होगी,कल
Nitu Sah
*भिन्नात्मक उत्कर्ष*
*भिन्नात्मक उत्कर्ष*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मदनोत्सव
मदनोत्सव
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
पत्रकार की कलम देख डरे
पत्रकार की कलम देख डरे
Neeraj Mishra " नीर "
वाक़िफ़
वाक़िफ़
SATPAL CHAUHAN
Loading...