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2 Aug 2024 · 1 min read

*जितनी चादर है उतने ही, यदि पॉंव पसारो अच्छा है (राधेश्यामी

जितनी चादर है उतने ही, यदि पॉंव पसारो अच्छा है (राधेश्यामी छंद )
_________________________
जितनी चादर है उतने ही, यदि पॉंव पसारो अच्छा है
जो भी प्रभु ने धन दिया तुम्हें, हॅंस कर स्वीकारो अच्छा है
जीवन में यदि संतोष रहा, तो हृदय स्वर्ग बन जाएगा
इच्छा-मकड़ी का जाल बुना, दुख ही केवल उपजाएगा

रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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